हाल ही में सरकार ने प्रोजेक्ट चीता पर 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश और राजस्थान में वन आवासों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित कर भविष्य में 60-70 चीतों की मेटापॉपुलेशन हासिल की जा सकती है। वहीं कुनो राष्ट्रीय उद्यान और गांधी सागर अभ्यारण्य मिलकर 25 वर्षों के भीतर ही एक अंतरराज्यीय चीता संरक्षण परिसर के रूप में चीता परिदृश्य का निर्माण कर सकते हैं।
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बता दें कि जंगली बिल्लियों की मेटापॉपुलेशन स्थापित करना प्रोजेक्ट चीता के दीर्घकालिक लक्ष्यों में से एक है। साथ ही मेटापॉपुलेशन से तात्पर्य किसी प्रजाति की आबादी से है जो एक बड़े लेकिन परस्पर जुड़े हुए भूभाग में फैली हुई हो।
प्रोजेक्ट चीता (Project Cheetah) के बारे में-
प्रोजेक्ट चीता, भारतीय वनों में अफ्रीकी चीतों की पुनःवापसी का भारत का एक महत्त्वाकांक्षी प्रयास है, जिसे सितंबर 2022 में आरंभ किया गया था। हाल ही में इसने दो साल पूरे कर लिए हैं। बता दें कि इसके तहत 2022-23 के दौरान दो बैचों में 20 जानवरों को स्थानांतरित किया गया। वर्तमान में 24 जानवर जीवित बचे हैं, जिनमें से 12 वयस्क और 12 शावक हैं, जबकि 13 चीतों की मौत हो चुकी है।
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आने वाले समय में इस परियोजना में दो महत्वपूर्ण विकास देखने को मिलेंगे। कुनो में, कुछ चीतों को बाड़ों से राष्ट्रीय उद्यान के बड़े बिना बाड़ वाले क्षेत्र में छोड़ा जाएगा तो इसके साथ ही 6-8 चीतों का एक नया समूह गांधी सागर अभयारण्य में लाया जाएगा।
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