संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप ने पदभार संभाल लिया है। अपनी जिम्मेदारी संभालते ही उन्होंने कई बड़े फैसले लिए, जिनमें सबसे विवादास्पद फैसला अमेरिका को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अलग करने का आदेश है। इस फैसले के पीछे कई कारण बताए गए हैं, जिनकी वजह से अमेरिका ने WHO से अपने संबंध खत्म करने की प्रक्रिया शुरू की।
अमेरिका के WHO से अलग होने के कारण
अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर बताया कि WHO से अलगाव का मुख्य कारण में COVID-19 महामारी के प्रबंधन में संगठन की कथित विफलता है। 2020 में ट्रंप प्रशासन ने WHO पर आरोप लगाया कि उसने महामारी के दौरान चीन का पक्ष लिया। विशेष रूप से, वुहान से फैली महामारी के समय WHO ने अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने में देरी की।
अमेरिकी प्रशासन ने यह भी कहा कि WHO ने चीन की ओर से डेटा साझा करने में हो रही देरी पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठे। इसके अलावा, संगठन में आवश्यक सुधारों की कमी और असमान वित्तीय योगदान को लेकर भी अमेरिका ने अपनी नाराजगी जाहिर की। उसके मुताबिक WHO अन्य देशों की तुलना में उससे अत्यधिक वित्तीय योगदान की माँग करता है। उदाहरण के लिए, चीन की जनसंख्या अमेरिका की तुलना में तीन गुना अधिक है, फिर भी वह WHO को लगभग 90% कम योगदान देता है।
WHO से बाहर होने के आदेश का प्रभाव और आगे की योजना
अमेरिकी सरकार ने आदेश दिया है कि WHO को किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता या संसाधन प्रदान करना तुरंत बंद कर दिया जाए। साथ ही, अमेरिका के सभी सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों (Contractors) को WHO से जुड़े कार्यों से वापस बुलाने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा, राष्ट्रपति ने 2024 की वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा रणनीति की समीक्षा और उसमें बदलाव के आदेश भी दिए हैं।
अमेरिका के अलग होने पर WHO की प्रतिक्रिया
अमेरिका के इस कदम पर WHO ने खेद व्यक्त किया है। संगठन ने इसे वैश्विक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए बड़ा झटका करार दिया है। WHO का कहना है कि वह दुनिया भर के लोगों, जिनमें अमेरिकी नागरिक भी शामिल हैं, की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाता है। संगठन ने अपने बयान में यह भी बताया कि अमेरिका 1948 में WHO का संस्थापक सदस्य था और पिछले सात दशकों में उसने WHO के साथ मिलकर चेचक उन्मूलन और पोलियो के खात्मे जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यों में सहयोग दिया है।
सुधारों के सवाल पर WHO ने कहा कि पिछले सात वर्षों में संगठन ने अपने इतिहास के सबसे बड़े सुधारों को लागू किया है। इन सुधारों का उद्देश्य जवाबदेही, लागत प्रभावशीलता और सदस्य देशों में प्रभाव को बढ़ाना है। WHO ने उम्मीद जताई कि अमेरिका अपने निर्णय पर पुनर्विचार करेगा और रचनात्मक संवाद के जरिए साझेदारी बनाए रखेगा।
वैश्विक स्वास्थ्य पर प्रभाव
अमेरिका के इस कदम से वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय में चिंता बढ़ गई है। HIV/AIDS, मलेरिया, और तपेदिक जैसी बीमारियों के खिलाफ चल रहे अभियानों पर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है। इस स्थिति का फायदा चीन उठा सकता है, जो पहले से ही अपनी “Health Silk Road” पहल के जरिए वैश्विक स्वास्थ्य परिदृश्य में अपनी स्थिति मजबूत करने की दिशा में अग्रसर है।
यह स्थिति ग्लोबल साउथ के लिए एक अवसर प्रस्तुत करती है कि वे WHO में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की मांग करें। BRICS देशों को स्थानीय संगठनों के जरिए स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का समाधान निकालने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
महत्त्वपूर्ण मोड़ पर वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग
अमेरिका का WHO से बाहर होना केवल एक राजनीतिक कदम नहीं है, बल्कि यह वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग के समक्ष एक गंभीर चुनौती प्रस्तुत करता है। COVID-19 ने यह साफ दिखा दिया है कि कोई भी देश स्वास्थ्य संकटों से अछूता नहीं रह सकता। ऐसे में सभी देशों के लिए यह अनिवार्य हो गया है कि वे अपने स्वास्थ्य मुद्दों को प्राथमिकता दें और सुधार की दिशा में ठोस प्रयास करें। हालाँकि, WHO ने अपने बयान में स्पष्ट रूप से कहा है कि वह अमेरिका के साथ अपने संबंधों को बनाए रखने के लिए प्रयासरत है। लेकिन, मौजूदा हालात वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए एक महत्त्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकते हैं।
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