एमपॉक्स के मामले की भारत में हुई पुष्टि | जानिए क्या है एमपॉक्स? Mpox UPSC in Hindi

Mpox virus

हाल ही में केरल में एमपॉक्स के दूसरे मामले की पुष्टि हुई है, जिसके बाद से सरकार ने इसके किसी भी आउटब्रेक से निपटने के लिये तैयारी शुरू कर दी है। ऐसा इसलिये क्योंकि पिछले महीने ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने विशेष रूप से कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) और पड़ोसी अफ्रीकी देशों में मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण mpox (मंकीपॉक्स) को अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC) घोषित किया था।

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मुख्य रूप से यौन संपर्क के माध्यम से फैलने वाले एक नए वायरस स्ट्रेन, क्लेड 1b के उभरने और एक अन्य क्लेड (Ia) (जो ज्यादातर बच्चों में फैल रहा था) के जोखिम मूल्यांकन के बाद WHO ने यह कदम उठाया था। दरअसल 1980 के दशक में WHO द्वारा किए गए अध्ययनों में क्लेड I (क्लेड Ia और क्लेड Ib इसी के उप क्लेड हैं) एमपॉक्स को लगभग 10 प्रतिशत मृत्यु दर के रूप में वर्णित किया गया था, जिसमें अधिकांश मौतें बच्चों में होती थीं। वहीं WHO की घोषणा तक लगभग 10 अफ्रीकी देशों में भी यह बीमारी फैल चुकी थी। बता दें कि PHEIC पदनाम अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियमों (IHR, 2005) के तहत अलार्म का उच्चतम स्तर है, जो अफ्रीका से परे बीमारी के फैलने की क्षमता को दर्शाता है। दो वर्षों में यह दूसरी बार है जब mpox को वैश्विक आपातकाल घोषित किया गया है।

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एमपॉक्स (Mpox) क्या है?

एमपॉक्स या मंकीपॉक्स एक वायरल बीमारी है जो ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस की एक प्रजाति, मंकीपॉक्स वायरस के कारण होती है। यह एक दुर्लभ वायरल जूनोटिक बीमारी है अर्थात यह पशुओं से इंसानों में फैल सकता है। एमपॉक्स में चेचक के समान लक्षण प्रदर्शित होते हैं, हालाँकि यह चिकित्सकीय रूप से कम गंभीर है।

मंकीपॉक्स का संक्रमण पहली बार वर्ष 1958 में अनुसंधान के लिये रखे गए बंदरों की कॉलोनियों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोपों के बाद खोजा गया था जिसके बाद इसे ‘मंकीपॉक्स’ नाम दिया गया था।

बता दें कि मंकीपॉक्स वायरस को क्लेड I और II में वर्गीकृत किया गया है। क्लेड I मध्य अफ्रीका में स्थानिक है जबकि क्लेड II को पहले पश्चिम अफ्रीकी क्लेड के रूप में जाना जाता था और इसे आगे उप-क्लेड्स में विभाजित किया गया है: क्लेड IIa और क्लेड IIb। क्लेड IIb ने 2022 के मल्टीकाउंटी प्रकोप को बढ़ावा दिया।

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एमपॉक्स के लक्षण-

दाने निकलना, फफोले बनना, बुखार, शरीर में दर्द इसके प्रमुख लक्षण हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो इस बीमारी से प्रभावित व्यक्ति की त्वचा पर लाल चकत्ते या म्यूकोसल घाव उभरते हैं जो 2-4 सप्ताह तक रह सकते हैं। साथ ही बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, कम ऊर्जा और सूजे हुए लिम्फ नोड्स भी हो सकते हैं।

वहीं यह किसी ऐसे व्यक्ति के साथ शारीरिक संपर्क के माध्यम से मनुष्यों में फैल सकता है जो संक्रामक है, वह दूषित पदार्थ भी हो सकता है या संक्रमित मनुष्य और जानवर भी।

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एमपॉक्स से रोकथाम के उपाय क्या हैं?

अपरिचित व्यक्तियों के साथ यौन संपर्क से बचकर, चकत्ते, पुटिकाओं या फुंसियों वाले लोगों के साथ निकट संपर्क से बचकर, बार-बार हाथ धोकर, तथा दूसरों के साथ व्यक्तिगत वस्तुओं को साझा न करके एमपॉक्स को रोका जा सकता है।

सबसे जरुरी है कि एमपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति के साथ शारीरिक संपर्क बिल्कुल भी नहीं किया जाए और उन्हें क्वारंटाइन कर दिया जाए। हालांकि यूएस सीडीसी की रिपोर्ट से पता चलता है कि कोविड-19 के विपरीत, एमपॉक्स  आसानी से हवा के माध्यम से नहीं फैलता है। लेकिन फिर भी लगातार संपर्क नुकसानदेह हो सकता है।

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वैसे मंकीपॉक्स वायरस (MPXV) संक्रमण के लिए कोई विशिष्ट उपचार अभी तक स्वीकृत नहीं है। हालाँकि, एमपॉक्स से पीड़ित अधिकांश लोग जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली बरकरार है और जिन्हें त्वचा रोग नहीं है, वे सहायक देखभाल और दर्द नियंत्रण के साथ चिकित्सा उपचार के बिना ठीक हो सकते हैं। वहीं इसके लिये हाल ही में WHO ने Bavarian Nordic  द्वारा बनाए गए वैक्सीन को एमपॉक्स के पहले वैक्सीन के रूप में मंजूरी भी दी है। साथ ही एमपॉक्स के उपचार के लिए टेकोविरिमैट जैसे कई एंटीवायरल का उपयोग किया जाता है, हालांकि अभी इसपर अध्ययन हो ही रहे हैं।


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