प्रश्न- भारत में अब तक केवल बीटी कपास को अपनाया गया है। भारत आज भी खाद्य जीएम फसलों के संदर्भ में निर्णय लेने में असमर्थ है। इसके क्या कारण हैं?
So far only BT cotton has been adopted in India. India is still unable to take a decision regarding food GM crops. What are the reasons for this?
उत्तर– भारत में बीटी कपास को 2002 में वाणिज्यिक स्वीकृति मिली, जिससे उत्पादन में वृद्धि और कीटनाशक उपयोग में कमी आई। इसके बावजूद, खाद्य जीएम फसलों के संदर्भ में निर्णय लेने की असमर्थता के पीछे कई कारण हैं:
1. स्वास्थ्य और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ
- जीएम फसलों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों पर पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं।
- संभावित एलर्जी और विषाक्तता के जोखिमों के कारण व्यापक विरोध है।
2. पर्यावरणीय प्रभाव
- जीएम फसलों के पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव, जैसे जैव विविधता में कमी और परागण प्रक्रिया में हस्तक्षेप।
- कीटों और खरपतवारों में प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने की आशंका।
3. कानूनी और नियामक ढांचे की कमी
- जीएम फसलों की सुरक्षा और स्वीकृति के लिए एक स्पष्ट और पारदर्शी नियामक ढांचे का अभाव।
- नियामक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की कमी और विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल का अभाव।
4. सामाजिक और राजनीतिक विरोध
- किसानों और नागरिक संगठनों द्वारा जीएम फसलों को लेकर आशंका।
- जैव प्रौद्योगिकी कंपनियों के संभावित एकाधिकार और बीज की कीमतों पर निर्भरता।
5. पारंपरिक कृषि और जैव विविधता संरक्षण
- भारत में पारंपरिक खेती और जैव विविधता को संरक्षित करने की प्राथमिकता।
- आत्मनिर्भरता और खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण से स्वदेशी बीजों का महत्त्व।
6. अंतर्राष्ट्रीय दबाव और विवाद
- यूरोपीय संघ जैसे देशों में यूरोपीय संघ के पास जीएम फसलों पर सख्त नियम और व्यापार विवाद।
- जीएम फसलों को लेकर वैश्विक स्तर पर नैतिक और राजनीतिक बहस।
निष्कर्षतः भारत में खाद्य जीएम फसलों के संदर्भ में निर्णय लेने की असमर्थता बहुआयामी चिंताओं से प्रेरित है। इन चिंताओं को दूर करने के लिए स्वास्थ्य, पर्यावरण, और आर्थिक प्रभावों का गहन अध्ययन, मजबूत नियामक ढाँचा, और जन जागरूकता आवश्यक है। संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए विज्ञान और नीति में समन्वय के माध्यम से इस मुद्दे का समाधान संभव है।
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