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उत्सर्जन अंतर रिपोर्ट (Emissions Gap Report), 2024
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा उत्सर्जन अंतर रिपोर्ट (Emissions Gap Report), 2024 जारी की गई है। इसे “अब और गर्म हवा नहीं …कृपया!” (No more hot air … please!) शीर्षक के साथ प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया ने साल 2023 में तापमान वृद्धि को पिछले वर्ष की तुलना में पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने में कोई प्रगति नहीं की है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल कार्बन उत्सर्जन अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया। साल 2023 में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन 57.1 गीगाटन तक पहुँच गया, जो साल 2022 के वैश्विक उत्सर्जन से 1.3 प्रतिशत अधिक है। इसमें सबसे अधिक योगदान ऊर्जा क्षेत्र का था, जिसने कुल 26 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन किया। जबकि, 15 प्रतिशत हिस्सा परिवहन क्षेत्र का था। वहीं तेल और गैस का उत्पादन तथा प्रसंस्करण भी बड़े पैमाने पर उत्सर्जन के लिये जिम्मेदार था। 2023 में हुए कुल उत्सर्जन में इसका 10 प्रतिशत हिस्सा था।
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उत्सर्जन अंतर रिपोर्ट 2024 की के अनुसार, प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में, भारत ने 2023 में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की। भारत के उत्सर्जन में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि चीन में यह 5.2 प्रतिशत रही। इसके विपरीत, यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में क्रमशः 7.5 प्रतिशत और 1.4 प्रतिशत की कमी आई है। हालाँकि, वृद्धि के बावजूद, भारत का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 2023 में चीन के 16,000 और अमेरिका के 5,970 के मुकाबले 4,140 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य (MtCO₂e) पर अपेक्षाकृत कम बना हुआ है। वहीं, यूरोपीय संघ का उत्सर्जन भारत के मुकाबले थोड़ा कम, 3,230 MtCO₂e था।
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उत्सर्जन अंतर रिपोर्ट 2024 के मुख्य बिंदु (Key highlights of the Emissions Gap Report 2024)
- उत्सर्जन में वृद्धि: 2023 में वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ा है, जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक प्रयासों के लिए चिंता का विषय है
- पेरिस समझौते के लक्ष्य: रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक कटौती की तुलना में वर्तमान उत्सर्जन स्तर काफी अधिक हैं।
- तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता: जलवायु संकट से निपटने के लिए तत्काल और प्रभावी उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया गया है, ताकि वैश्विक तापमान को 1.5°C तक सीमित रखा जा सके।
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उत्सर्जन अंतर रिपोर्ट 2024 प्रमुख सुझाव (Emissions Gap Report 2024 Key Recommendations)
1. महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs):
देशों को अपने NDCs को अधिक महत्वाकांक्षी बनाने की आवश्यकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रों को सामूहिक रूप से 2030 तक वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 42 प्रतिशत और 2035 तक 57 प्रतिशत की कटौती करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।
2. तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता:
यदि मौजूदा नीतियों को जारी रखा गया, तो वैश्विक तापमान में वृद्धि 3.1 डिग्री सेल्सियस तक हो सकती है। इसलिए, तत्काल और प्रभावी उपायों की आवश्यकता है।
3. निम्न-कार्बन विकास:
वैश्विक स्तर पर निम्न-कार्बन विकास परिवर्तनों की आवश्यकता है, विशेष रूप से ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव पर ध्यान केंद्रित करना होगा। जीवाश्म ईंधनों के निष्कर्षण और उपयोग को नियंत्रित करना आवश्यक है।
4. वित्तीय और तकनीकी सहायता:
विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करनी होगी। उच्च उत्सर्जन वाले देशों को अधिक जिम्मेदारी लेते हुए अधिक महत्त्वाकांक्षी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। रिपोर्ट में उत्सर्जन में कमी के लिए निवेश में भारी वृद्धि का आह्वान किया गया है। इसमें कहा गया है कि 2030 और 2035 के लिए उत्सर्जन अंतर को अभी भी CO2 के बराबर प्रति टन 200 अमेरिकी डॉलर की लागत से पाटा जा सकता है। इस लागत पर, 2030 तक वार्षिक उत्सर्जन से लगभग 31 बिलियन टन CO2 समतुल्य को कम किया जा सकता है, जो 1.5 डिग्री के लक्ष्य के लिए आवश्यक लगभग 28 बिलियन CO2 समतुल्य से अधिक है।
5. कार्बन डाइऑक्साइड हटाने की तकनीकें:
भविष्य में कार्बन डाइऑक्साइड हटाने की तकनीकों का विकास और कार्यान्वयन आवश्यक होगा। हालांकि, इन तकनीकों के साथ कई जोखिम भी जुड़े हैं, जिनका ध्यान रखना होगा3.
6. वैश्विक लामबंदी:
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को प्राप्त करना संभव है, लेकिन इसके लिए जी-20 देशों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर वैश्विक लामबंदी की आवश्यकता होगी।
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उत्सर्जन अंतर रिपोर्ट क्या है (What is an emissions gap report)?
उत्सर्जन अंतर रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा वार्षिक रूप से प्रकाशित किया जाता है। इस रिपोर्ट का पहला संस्करण साल 2010 में जारी किया गया था। यह वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के स्तर और पेरिस समझौते के लक्ष्यों के बीच के अंतर का मूल्यांकन करती है। यह रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक प्रयासों की प्रगति को ट्रैक करती है और यह बताती है कि वर्तमान नीतियों और प्रतिबद्धताओं के आधार पर, ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए क्या कदम उठाने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के बीच जलवायु वार्ता को सूचित करने के उद्देश्य से उत्सर्जन अंतर रिपोर्ट (EGR) को हर साल संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP) से पहले लॉन्च किया जाता है।
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