Donald Trump ने भारत पर पारस्परिक टैरिफ (Reciprocal tariffs) लगाये
4 मार्च, 2025 की रात, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित किया, तो उनके शब्दों ने न केवल अमेरिका बल्कि भारत जैसे देशों में भी हलचल मचा दी। ट्रम्प ने घोषणा की कि 2 अप्रैल, 2025 से अमेरिका भारत, चीन, कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों पर पारस्परिक टैरिफ लागू करेगा। उनका तर्क स्पष्ट था: “जो देश हम पर भारी टैरिफ लगाते हैं, उन्हें भी वैसा ही जवाब मिलेगा। भारत हमसे 100% से अधिक टैरिफ वसूलता है, अब हम भी ऐसा ही करेंगे। यह ‘अमेरिका को फिर से समृद्ध बनाने’ का पहला कदम है।”
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यह घोषणा भारत के लिए एक झटके की तरह थी। पिछले कुछ वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत हुए थे। दोनों देशों ने तकनीक, रक्षा और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाया था। लेकिन ट्रम्प का यह निर्णय एक नए व्यापार युद्ध की शुरुआत का संकेत देता है। इस लेख में भारत पर इस नीति के प्रभाव को समझने की कोशिश की गई है। साथ ही इस पर भी बात की गई है कि इससे आने वाले दिनों में भारत की अर्थव्यवस्था, उद्योग और आम नागरिक कैसे प्रभावित हो सकते हैं।
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ट्रम्प की नीति: पारस्परिक टैरिफ का अर्थ
रेसिप्रोकल का अर्थ होता है प्रतिशोधात्मक अर्थात् ‘जैसे को तैसा’। सरल शब्दों में, ये एक टैक्स या व्यापार प्रतिबंध है जो एक देश तब लगाता है जब दूसरा देश भी वैसा ही टैक्स लगाता है। जैसे, अगर भारत, अमेरिका के प्रोडक्ट्स पर 100% टैक्स लगाता है, तो अमेरिका भी हमारे सामान पर 100% टैक्स लगा सकता है। इसका उद्देश्य व्यापार में संतुलन लाना होता है। इस तरह अब अमेरिका उतना ही टैक्स लगाएगा जितना दूसरे देश उसके प्रोडक्ट्स पर लगाते हैं।
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ट्रम्प ने अपने भाषण में भारत का विशेष उल्लेख किया और कहा कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर 100% से अधिक टैरिफ लगाता है, जैसे कि हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिलों पर। उनका कहना था कि यह अमेरिकी कंपनियों के लिए अनुचित है और इसे ठीक करने के लिए वह यह कदम उठा रहे हैं।
लेकिन यह नीति केवल प्रतिशोध नहीं है। ट्रम्प का दावा है कि इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। हालाँकि, भारत जैसे देशों के लिए यह एक दोधारी तलवार की तरह है। एक तरफ, यह भारत के निर्यात पर असर डालेगा, वहीं दूसरी तरफ यह भारत को अपनी व्यापार नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकता है।
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भारत का व्यापारिक परिदृश्य: वर्तमान स्थिति
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। 2024 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया था। भारत अमेरिका को सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएँ, फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा, ऑटोमोबाइल पार्ट्स और कृषि उत्पाद जैसे क्षेत्रों में निर्यात करता है। वहीं, अमेरिका से भारत को विमानन उपकरण, ऊर्जा संसाधन और उच्च तकनीक मशीनरी मिलती है।
भारत ने कुछ अमेरिकी उत्पादों पर ऊँचे टैरिफ लगाए हैं, जैसे कि बादाम पर 120% और सेब पर 50%। इसका कारण स्थानीय किसानों और उद्योगों को संरक्षण देना है। लेकिन ट्रम्प की नई नीति के तहत, अमेरिका अब भारत से आने वाली वस्तुओं पर समान या उससे अधिक टैरिफ लगा सकता है। इसका असर भारत के उन उद्योगों पर पड़ेगा जो अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं।
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भारत पर प्रभाव: आर्थिक और सामाजिक पहलू
1. निर्यात पर संकट
भारत के लिए अमेरिका सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। ट्रम्प के टैरिफ लागू होने से भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में महँगे हो जाएँगे। उदाहरण के लिये, भारतीय टेक्सटाइल उद्योग, जो अमेरिका में बड़ी मात्रा में निर्यात करता है। वित्त वर्ष 2024 में भारतीय टेक्सटाइल उद्योग ने अमेरिका को 35.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया, जो हमारे कुल टेक्सटाइल निर्यात का 32.7% था। और वित्त 2023 में यह निर्यात 35.58 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जो अब तक का सबसे अधिक था। अमेरिका हमारे टेक्सटाइल उद्योग का सबसे बड़ा बाज़ार है। लेकिन अगर वह 50-100% टैरिफ लगाता है, तो हमारे ये वस्तुएँ वहाँ के ग्राहकों के लिए महंगी हो जाएँगी और उनकी माँग कम हो सकती है।
इसी तरह, फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र, जो भारत की अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ है, भी प्रभावित हो सकता है। भारत जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक है और अमेरिका इसका सबसे बड़ा खरीदार। टैरिफ बढ़ने से दवाओं की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो सकती है।
2. रोजगार पर असर
निर्यात में कमी का सीधा असर रोजगार पर पड़ेगा। कपड़ा, ऑटोमोबाइल और फार्मा जैसे क्षेत्रों में लाखों लोग काम करते हैं। अगर अमेरिकी बाजार में माँग कम हुई, तो कंपनियाँ उत्पादन घटा सकती हैं, जिससे छंटनी और बेरोजगारी बढ़ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि छोटे और मध्यम उद्यम (SMEs), जो भारत के निर्यात का बड़ा हिस्सा हैं, इस संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
3. आयात की बढ़ती लागत
भारत अमेरिका से कई आवश्यक वस्तुएँ आयात करता है, जैसे कि ऊर्जा उपकरण और रक्षा सामग्री। अगर भारत ने जवाबी कार्रवाई में अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाया, तो इन वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी। इससे भारत की रक्षा तैयारियों और ऊर्जा क्षेत्र पर असर पड़ सकता है। साथ ही, उपभोक्ता वस्तुएँ जैसे कि सेब और बादाम महँगे हो जाएँगे, जिसका असर आम भारतीय की जेब पर पड़ेगा।
4. व्यापार संतुलन और रुपये पर दबाव
अमेरिका के साथ भारत का व्यापार संतुलन पहले से ही नकारात्मक है, यानी हम उनसे ज्यादा आयात करते हैं। टैरिफ युद्ध से यह असंतुलन और बढ़ सकता है। निर्यात कम होने और आयात महँगा होने से भारतीय रुपये पर दबाव बढ़ेगा, जिससे इसकी कीमत और गिर सकती है। इससे महँगाई बढ़ने का खतरा भी है।
भारत की संभावित प्रतिक्रिया
ट्रम्प की इस नीति के जवाब में भारत के पास कई विकल्प हैं। पहला, भारत अमेरिका के साथ बातचीत कर सकता है और टैरिफ कम करने की शर्त पर समझौता कर सकता है। दूसरा, भारत जवाबी टैरिफ लगा सकता है, जैसा कि उसने 2018 में ट्रम्प के स्टील और एल्यूमीनियम टैरिफ के जवाब में किया था। तीसरा, भारत अपने निर्यात बाजारों को विविधीकृत कर सकता है, जैसे कि यूरोप और दक्षिण-पूर्व एशिया पर ध्यान देना।
लेकिन ये सभी विकल्प चुनौतियों से भरे हैं। बातचीत में समय लगेगा, जवाबी टैरिफ से व्यापार युद्ध और गहरा सकता है, और नए बाजारों में पैठ बनाना आसान नहीं है। भारत को एक संतुलित रणनीति अपनानी होगी, जिसमें दीर्घकालिक और अल्पकालिक दोनों उपाय शामिल हों।
निष्कर्ष: एक नई राह की तलाश
ट्रम्प का यह निर्णय भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है, लेकिन यह एक अवसर भी हो सकता है। यह भारत को अपनी आत्मनिर्भरता बढ़ाने, स्थानीय उद्योगों को मजबूत करने और वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति को पुनर्जनन (Re-Invent) करने का मौका देता है। आने वाले महीने यह तय करेंगे कि भारत इस तूफान का सामना कैसे करता है। क्या हम इसे एक संकट के रूप में देखेंगे या एक नई शुरुआत के रूप में, यह हमारी नीतियों और नेतृत्व पर निर्भर करेगा।
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