यूक्रेन युद्ध: अमेरिका-रूस डील से ज़ेलेंस्की चिंतित क्यों?

Zelenskyy concerned about US-Russia deal

यूक्रेन युद्ध: सत्ता, राजनीति और वैश्विक संतुलन की नई बिसात

यूक्रेन युद्ध ने एक बार फिर वैश्विक राजनीति में भूचाल ला दिया है। एक तरफ जहाँ अमेरिका और रूस के बीच शांति वार्ता चल रही है, वहीं दूसरी ओर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है। इस बदलते परिदृश्य में, यूरोप भी खुद को हाशिए पर महसूस कर रहा है, और सबके मन में यही सवाल है कि यूक्रेन का भविष्य क्या होगा? क्या यह युद्ध अब समाप्ति की ओर है, या यह कभी खत्म ही नहीं होगा? यह केवल युद्धभूमि पर ही नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति के गलियारों में भी चर्चा का विषय बन गया है। रूस, अमेरिका, यूरोप और मध्य पूर्व – हर ओर इस संघर्ष की परछाई गहरी होती जा रही है। यह सिर्फ हथियारों की लड़ाई नहीं, बल्कि कूटनीति, शक्ति संतुलन और वैश्विक राजनीति की जटिल बिसात है।

यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में अमेरिकी रणनीति में बदलाव

यूक्रेन, जो अमेरिका के समर्थन से रूस का मुकाबला कर रहा था, अब एक नई चुनौती का सामना कर रहा है। डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी के बाद उन्होंने यूक्रेन को समर्थन रोकने की बात कही और अब रूस के साथ बिना यूक्रेन को शामिल किए वार्ता शुरू कर दी है। हाल ही में अमेरिका और रूस के बीच सऊदी अरब में शांति वार्ता हुई, लेकिन इसमें न तो यूक्रेन को शामिल किया गया और न ही यूरोपीय सहयोगियों को। यानी, जिस देश में शांति स्थापित करनी है, उसे ही वार्ता से बाहर रखा गया। इससे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की को बड़ा झटका लगा। उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि बिना उनकी भागीदारी के होने वाली कोई भी डील मान्य नहीं होगी। दूसरी ओर, यूरोपीय देश भी असहज महसूस कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लग रहा है कि उन्हें इस पूरी प्रक्रिया से दरकिनार किया जा रहा है।

Geopolitical dynamics in the Ukraine conflict

डोनाल्ड ट्रंप की नीति और ज़ेलेंस्की से मतभेद

अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप की राजनीतिक वापसी के बाद यूक्रेन के प्रति अमेरिकी नीति में तेज़ी से बदलाव आया है। ट्रंप ने ज़ेलेंस्की को “तानाशाह” करार दिया और उन पर अमेरिकी सहायता के दुरुपयोग का आरोप लगाया। उनका दावा है कि ज़ेलेंस्की एक “अंतहीन संघर्ष” को बनाए रखना चाहते हैं और अमेरिका की मदद को अपनी निजी सत्ता बचाने का साधन बना रहे हैं। ट्रंप का यह भी मानना है कि युद्ध को टाला जा सकता था, लेकिन फिर भी यूक्रेन ने युद्ध की शुरुआत की और ज़ेलेंस्की ने इस संघर्ष को जानबूझकर लंबा खींचने का काम किया है। उन्होंने यहाँ तक कहा कि अगर ज़ेलेंस्की ने कुर्सी नहीं छोड़ी तो उनके साथ कोई देश नहीं रहेगा।

दूसरी ओर, ज़ेलेंस्की का कहना है कि ट्रंप रूसी प्रचार का शिकार हो रहे हैं और उनके बयान यूक्रेन की संप्रभुता को ख़तरे में डाल सकते हैं। ज़ेलेंस्की ने यह भी कहा है कि यूक्रेन, यूरोपीय देशों के साथ, रूस-अमेरिका वार्ता में प्रतिनिधित्व करने का हकदार है। और हमारे बिना कोई डील होती है, तो हम ऐसी किसी भी डील को नहीं मानने वाले।

Change in US policy in Ukraine-Russia talks

यूक्रेन युद्ध पर यूरोप की चिंता और उसकी रणनीति

अमेरिका के बदलते रुख से यूरोप की चिंतित नजर आ रहा है। ऐसा लग रहा है कि ट्रंप की कूटनीतिक पहल ने यूरोप और अमेरिका के बीच गठबंधन में दरार डाल दी है, जिसे भरना मुश्किल हो सकता है। यूरोपीय देशों को चिंता है कि रूस के साथ कोई भी समझौता उनकी सुरक्षा और संप्रभुता को खतरे में डाल सकता है। उन्हें डर है कि पुतिन अपनी शर्तों पर समझौता करने के बाद क्षेत्र के बाकी देशों के लिए भी खतरा बन सकते हैं। ऐसे में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने यूरोपीय नेताओं को एकजुट करने के लिए पेरिस में एक बैठक बुलाई, लेकिन इस बैठक से कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। यूरोप इस दुविधा में है कि वह अमेरिका पर कितनी निर्भरता रखे और अपने भविष्य की रक्षा कैसे करे।

यूरोपीय नेता अब अपनी स्वतंत्र रणनीति बनाने पर विचार कर रहे हैं। यहाँ तक कि यूरोपीय सेनाओं को युद्ध-विराम की निगरानी के लिए यूक्रेन में तैनात करने की बात भी हो रही है। हालाँकि, इस पर अभी सहमति नहीं बन पाई है।

Tension in US-Europe relations

युद्ध का मैदान: ज़मीनी हकीकत

तीन साल से अधिक समय से यूक्रेन युद्ध की आग में जल रहा है। रूस का आक्रमण, अमेरिका और यूरोप की प्रतिक्रिया, और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की की नेतृत्व क्षमता- ये सभी मिलकर इस जटिल संघर्ष की पटकथा लिख रहे हैं। यूक्रेन ने अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए अभूतपूर्व साहस दिखाया, लेकिन यह संघर्ष अब केवल यूक्रेन तक सीमित नहीं रह गया है। यूक्रेन में जमीनी हकीकत भी चिंताजनक है। बातचीत और कूटनीति की हलचल के बीच यूक्रेनी सेना अभी भी मैदान में डटी हुई है। उत्तर-पूर्वी यूक्रेन के ठंडे जंगलों और सीमावर्ती इलाकों में लड़ाई जारी है। रूसी सैनिकों के सामने यूक्रेनी ड्रोन हमले लगातार हो रहे हैं, लेकिन संसाधनों की कमी यूक्रेनी सेना के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। सूमी क्षेत्र में मौजूद यूक्रेनी सैन्य अधिकारियों का कहना है कि वे राजनीतिक उठापटक पर ज़्यादा ध्यान नहीं देते, क्योंकि उनके लिए युद्ध की ज़मीनी सच्चाई ही मायने रखती है। उन्हें लगता है कि ट्रंप और पुतिन की बातचीत केवल ‘राजनीतिक शोरगुल’ है, जबकि असली संघर्ष अभी भी ज़मीन पर जारी है।

Continuing conflict and challenges in Ukraine

क्या यूक्रेन का भविष्य अधर में लटक गया है?

ट्रंप और ज़ेलेंस्की के बीच वाकयुद्ध ने यूक्रेन के भविष्य को और अनिश्चित बना दिया है। क्या अमेरिका यूक्रेन का समर्थन जारी रखेगा? क्या यूरोप रूस के साथ कोई समझौता कर पाएगा? क्या यूक्रेन अपनी जमीन वापस पाने में सफल होगा? इन सवालों का जवाब आने वाले दिनों में ही मिल पाएगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि यूक्रेन का भविष्य वैश्विक राजनीति के बदलते समीकरणों पर निर्भर करेगा।

The uncertainty of Ukraine's future

ट्रंप का ध्यान अब चीन पर

ट्रंप प्रशासन का फोकस चीन पर अधिक है। उनका मानना है कि यूरोप को अब अपनी सुरक्षा के लिए स्वयं ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए। जानकारों का मानना है कि ट्रंप ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत, सैन्य संसाधनों और आर्थिक मदद को सीमित कर चीन से निपटने की रणनीति बना रहे हैं। यानी, अमेरिका की रणनीति अब केवल रूस पर केंद्रित नहीं रही, बल्कि वह चीन के उभरते प्रभाव से चिंतित है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या अमेरिका की प्राथमिकता बदलने से यूक्रेन युद्ध में नया मोड़ आएगा?

Influence of US geopolitical priorities

निष्कर्ष

संक्षेप में, यूक्रेन युद्ध कई देशों के हितों से जुड़ा जटिल संकट है, जिसमें कई खिलाड़ी शामिल हैं और सबके अपने-अपने हित हैं। यूरोप और अमेरिका द्वारा उठाए गए कदमों का उद्देश्य केवल मानवता की भलाई नहीं बल्कि अपने राजनीतिक लाभ भी हो सकते हैं। ट्रंप, ज़ेलेंस्की और यूरोप के बीच उलझी इस स्थिति में, यूक्रेन का भविष्य अधर में लटका हुआ है। देखना यह है कि आने वाले दिनों में कौन से नए मोड़ आते हैं और इस संकट का समाधान कैसे निकलता है। लेकिन इतना तय है कि यह संघर्ष केवल बंदूकों और मिसाइलों से नहीं, बल्कि राजनीतिक फैसलों और कूटनीति की जटिल चालों से तय होगा। दुनिया एक नए दौर में प्रवेश कर रही है, जहाँ पुरानी दोस्ती, नए दुश्मन और अकल्पनीय गठबंधन सामने आ सकते हैं। आपकी राय क्या है? क्या अमेरिका-रूस वार्ता यूक्रेन के भविष्य को खतरे में डाल सकती है? क्या यह संघर्ष जल्द खत्म होगा या आगे बढ़ेगा? कमेंट करके बताएँ।

Which strategy would yield better results for the Ukraine crisis?

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