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आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) 2024-25
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी 2025 को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 (Economic Survey 2024-25) प्रस्तुत किया, जिसमें भारत की आर्थिक स्थिति और भविष्य की नीतियों की नीतियों पर प्रकाश डाला गया। इसके तुरंत बाद, संसद के दोनों सदनों को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया। यह परंपरा के अनुसार हुआ, जहाँ वित्त मंत्री हर वर्ष बजट प्रस्तुति से एक दिन पहले संसद में अर्थव्यवस्था की पूर्व-बजट स्थिति का विस्तृत दस्तावेज पेश करते हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि हर साल भारत सरकार बजट से पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) जारी करती है, जो देश की आर्थिक स्थिति, विकास दर, निवेश प्रवृत्तियों, मुद्रास्फीति और अन्य प्रमुख आर्थिक संकेतकों का विश्लेषण करता है। इसे वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा, मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार किया जाता है। इस लेख में, हम इस आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) के प्रमुख बिंदुओं का विस्तार से विश्लेषण करेंगे।
सर्वेक्षण के अनुसार, 2024 में वैश्विक अर्थव्यवस्था ने विभिन्न क्षेत्रों में स्थिर लेकिन असमान वृद्धि दिखाई। एक महत्त्वपूर्ण प्रवृत्ति के रूप में वैश्विक विनिर्माण में मंदी रही, खासकर यूरोप और एशिया के कुछ हिस्सों में, जो आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों और कमजोर बाहरी मांग के कारण थी। इसके विपरीत, सेवा क्षेत्र ने बेहतर प्रदर्शन किया, जिससे कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि को समर्थन मिला। हालाँकि अधिकांश देशों में मुद्रास्फीति का दबाव कम हुआ, सर्वेक्षण में यह भी उल्लेख किया गया कि सेवा क्षेत्र में मुद्रास्फीति लगातार बनी रही।
आर्थिक वृद्धि और जीडीपी (Economic growth and GDP)
आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) 2024-25 में इस बात पर जोर दिया गया है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत ने स्थिर आर्थिक वृद्धि बनाए रखी है। वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.4प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो दशकीय औसत के लगभग समान है। यह वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद एक सकारात्मक संकेत प्रस्तुत करता है। इस वृद्धि में विशेष रूप से सेवा और औद्योगिक क्षेत्रों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है:
- सेवा क्षेत्र: 7.2प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि
- औद्योगिक क्षेत्र: 6.2प्रतिशत की वृद्धि
- कृषि क्षेत्र: 3.8प्रतिशत की वृद्धि
विकास के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, सर्वेक्षण में यह अपेक्षाएं जताई गई हैं कि वित्त वर्ष 2026 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.3 से 6.8 प्रतिशत के बीच रह सकती है। मध्यम अवधि के दृष्टिकोण में, वैश्विक कारकों और व्यापार नीति में अनिश्चितताओं के चलते बढ़ते जोखिमों के संदर्भ में घरेलू विकास के स्तंभों को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी विस्तार से चर्चा की गई है।
आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) 2024-25 में यह भी कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में कृषि विकास स्थिर रहा। दूसरी तिमाही में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की गई, जो पिछली चार तिमाहियों की तुलना में सुधार का संकेत देती है। स्वस्थ खरीफ उत्पादन, बेहतर मानसून और जलाशय स्तरों में सुधार ने कृषि क्षेत्र के विकास को सहारा दिया। 2024-25 में कुल खरीफ खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान 1647.05 लाख मीट्रिक टन (LMT) है, जो 2023-24 के मुकाबले 5.7प्रतिशत अधिक और पिछले पाँच वर्षों के औसत उत्पादन से 8.2प्रतिशत अधिक है।
आपूर्ति पक्ष पर, वास्तविक सकल मूल्य वर्धन (GVA) में 6.4 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। वित्त वर्ष 2025 में कृषि क्षेत्र में 3.8 प्रतिशत की वृद्धि, औद्योगिक क्षेत्र में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि और सेवा क्षेत्र में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि रहने की उम्मीद जताई गई है। निर्माण गतिविधियों और उपयोगिता सेवाओं जैसे बिजली, गैस, जलापूर्ति आदि में मजबूत वृद्धि से औद्योगिक क्षेत्र को समर्थन मिलेगा, वहीं सेवा क्षेत्र में वित्तीय, रियल एस्टेट, पेशेवर सेवाओं, लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं में स्वस्थ गतिविधियों के कारण वृद्धि दर मजबूत रहने का अनुमान है।
विनिर्माण क्षेत्र (Manufacturing sector)
आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) 2024-25 के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र लगातार सुधार के बावजूद अपनी महामारी-पूर्व स्थिति से थोड़ी नीचे बना हुआ है, क्योंकि यह धीमी वैश्विक मांग और आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों से उबरने की कोशिश कर रहा है।
वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में औद्योगिक क्षेत्र में 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई और वित्त वर्ष 2025 में कुल 6.2 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है। पहली तिमाही में 8.3 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई, लेकिन तीन प्रमुख कारणों से दूसरी तिमाही में वृद्धि धीमी हो गई। सबसे पहले, गंतव्य देशों से कमजोर मांग और प्रमुख व्यापारिक देशों में आक्रामक व्यापार और औद्योगिक नीतियों के कारण विनिर्माण निर्यात में काफी कमी आई। दूसरा, औसत से अधिक मानसून का मिश्रित प्रभाव रहा। इसने खनन, निर्माण और कुछ हद तक विनिर्माण क्षेत्रों को प्रभावित किया, हालाँकि कृषि को इससे लाभ हुआ। तीसरा, पिछले और वर्तमान वर्षों में सितंबर और अक्टूबर के बीच त्योहारों के समय में बदलाव के कारण वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में विकास में मामूली मंदी आई।
सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि विभिन्न चुनौतियों के बावजूद, भारत क्रय प्रबंधक सूचकांक (Manufacturing Purchasing Managers Index) में सबसे तेज वृद्धि दर्ज करना जारी रखेगा। दिसंबर 2024 के लिए नवीनतम विनिर्माण PMI नए व्यापार लाभ, मजबूत मांग और प्रचार प्रयासों के कारण विस्तार क्षेत्र में बना रहा।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME)
आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) 2024-25 में कहा गया है कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का एक अत्यंत जीवंत और महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। बड़े पैमाने पर क्षमता वाले MSME को इक्विटी फंडिंग प्रदान करने के लिए, सरकार ने 50,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ आत्मनिर्भर भारत कोष की शुरुआत की है।
सर्वेक्षण में यह भी उल्लेख किया गया है कि अत्यधिक नियामक बोझ को कम करके, सरकारें व्यवसायों को अधिक कुशल बनाने, लागत को नियंत्रित करने और विकास के नए अवसरों को खोलने में मदद कर सकती हैं।
सर्वेक्षण में ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस (EODB) 2.0 पर भी जोर दिया गया है, जो एक राज्य सरकार की अगुवाई वाली पहल होनी चाहिए, जिसका उद्देश्य व्यापार में कठिनाइयों को हल करना है। इसमें कहा गया है कि EODB के अगले चरण में, राज्यों को मानकों और नियंत्रणों को उदार बनाने, प्रवर्तन के लिए कानूनी सुरक्षा उपाय स्थापित करने, टैरिफ और शुल्क को घटाने और जोखिम-आधारित विनियमन को लागू करने के लिए नए कदम उठाने चाहिए।
मुद्रास्फीति और रोजगार (Inflation and Employment)
आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) 2024-25 के अनुसार, महंगाई नियंत्रण में है, और सरकार रोजगार बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
- खुदरा मुद्रास्फीति (CPI) वित्त वर्ष 2024-25 में 5.4प्रतिशत रही।
- 2030 तक हर साल 78.5 लाख नई नौकरियाँ उत्पन्न करने की आवश्यकता है।
सरकार विभिन्न क्षेत्रों में कौशल विकास और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देकर रोजगार के अवसरों को सृजित करने का प्रयास कर रही है।
मुद्रास्फीति (Inflation)
आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) 2024-25 की रिपोर्ट के अनुसार, खुदरा हेडलाइन मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2024 में 5.4प्रतिशत से घटकर अप्रैल-दिसंबर 2024 में 4.9प्रतिशत हो गई है। हालाँकि, खाद्य मुद्रास्फीति कई बार 8प्रतिशत को पार कर गई, जिसका मुख्य कारण प्याज, टमाटर और दालों जैसी प्रमुख वस्तुओं की आपूर्ति में व्यवधान था। उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) द्वारा मापी गई खाद्य मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2024 में 7.5प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 (अप्रैल-दिसंबर) में 8.4प्रतिशत हो गई, जो मुख्य रूप से सब्जियों और दालों जैसी वस्तुओं द्वारा संचालित है। समग्र मांग के दृष्टिकोण से, स्थिर कीमतों पर निजी अंतिम उपभोग व्यय में 7.3प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है, जो विशेष रूप से ग्रामीण मांग में वृद्धि के कारण है। RBI और IMF के अनुसार, भारत की उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति धीरे-धीरे वित्त वर्ष 2026 में लगभग 4 प्रतिशत के लक्ष्य के अनुरूप हो जाएगी।
रोजगार (Employment)
आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) 2024-25 में रोजगार के मोर्चे पर लगातार अच्छे प्रदर्शन को रेखांकित किया गया है। इसमें कहा गया है कि हाल के वर्षों में भारत के श्रम बाजार की वृद्धि को महामारी के बाद की रिकवरी और औपचारिकता में वृद्धि का समर्थन मिला है। 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर 2017-18 में 6प्रतिशत से घटकर 2023-24 में 3.2प्रतिशत हो गई है। श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) और श्रमिक-से-जनसंख्या अनुपात (WPR) में भी वृद्धि हुई है। सर्वेक्षण में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत, जो एक युवा और अनुकूलनीय कार्यबल वाली सेवा-संचालित अर्थव्यवस्था है, के लिए एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) को अपनाने से आर्थिक विकास को समर्थन मिलने और श्रम बाजार के परिणामों में सुधार होने की संभावना है। शिक्षा और कौशल विकास को प्राथमिकता देना श्रमिकों को एआई-संवर्धित परिदृश्य में सफल होने के लिए आवश्यक दक्षताओं से लैस करने के लिए महत्त्वपूर्ण होगा। सर्वेक्षण इस तथ्य को सामने लाता है कि वर्तमान में बड़े पैमाने पर एआई को अपनाने में बाधाएं हैं, जिससे नीति निर्माताओं के लिए अवसर उत्पन्न होते हैं। आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) श्रम क्षेत्र में एआई-संचालित परिवर्तन के प्रतिकूल सामाजिक प्रभावों को कम करने के लिए सरकार, निजी क्षेत्र और शिक्षाविदों के बीच सहयोगात्मक प्रयास का आह्वान करता है।
मौद्रिक और वित्तीय क्षेत्र (Monetary and Financial Sector)
आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) 2024-25 सर्वेक्षण में बताया गया है कि बैंकिंग क्षेत्र में स्थिरता, परिसंपत्ति हानि (Asset Impairment) में कमी, मजबूत पूंजी बफर और मजबूत परिचालन प्रदर्शन के साथ प्रगति हो रही है। बैंकिंग प्रणाली में सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (NPA) घटकर सकल ऋण और अग्रिमों के 2.6 प्रतिशत पर आ गई हैं, जो 12 साल का सबसे निचला स्तर है। पूंजी-से-जोखिम-भारित परिसंपत्ति अनुपात (CRAR) सितंबर 2024 तक 16.7 प्रतिशत पर पहुंच गया है, जो मानक से काफी ऊपर है। लगातार दो वर्षों तक ऋण वृद्धि ने नाममात्र सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि को पार किया, जो स्थिर ऋण वातावरण का संकेत देता है।
शेयर बाजार ने उभरते बाजारों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया, और इक्विटी तथा ऋण से प्राथमिक बाजार में जुटाई गई राशि 11.1 ट्रिलियन रुपये तक पहुँच गई, जो वित्त वर्ष 2023-24 से 5 प्रतिशत अधिक है। इसके अतिरिक्त, भारत के बीमा और पेंशन बाजारों में निरंतर विस्तार देखा गया, जिसमें कुल बीमा प्रीमियम में 7.7 प्रतिशत की वृद्धि और पेंशन सदस्यता में साल दर साल 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई। बढ़ते हुए फिनटेक इकोसिस्टम ने वित्तीय समावेशन को और बढ़ावा दिया है, जिसमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल लेन-देन में तेज़ी से वृद्धि हो रही है।
विदेशी व्यापार और निवेश (Foreign Trade and Investment)
भारत का वैश्विक व्यापार संतुलन सुधर रहा है और विदेशी निवेशकों का भरोसा बना हुआ है।
- वित्त वर्ष 2023 के मुकाबले वित्त वर्ष 2024 में निर्यात और आयात का मूल्य क्रमशः 0.1प्रतिशत और 2.3प्रतिशत घटा, लेकिन वित्त वर्ष 2025 (अप्रैल से दिसंबर) के दौरान निर्यात में 6.6प्रतिशत और आयात में 3प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
- सेवा निर्यात में 4.9प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो अब 341.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह 45.8 बिलियन डॉलर तक रहा, हालाँकि इसमें मामूली गिरावट आई है।
- चालू खाता घाटा (Current Account Deficit – CAD) जीडीपी के 0.7प्रतिशत तक घट गया है।
यह स्पष्ट है कि भारत का व्यापार और निवेश माहौल स्थिर बना हुआ है, जो देश के आर्थिक स्वास्थ्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) में यह भी उल्लेख किया गया है कि सेवा क्षेत्र वित्त वर्ष 2025 में शानदार प्रदर्शन कर रहा है। पहली और दूसरी तिमाही में अच्छी वृद्धि के परिणामस्वरूप, वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में सेवा निर्यात में 7.1प्रतिशत की वृद्धि हुई। उप-क्षेत्रों में, सभी प्रमुख श्रेणियों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। वित्त वर्ष 2025 (अप्रैल-नवंबर) के दौरान भारत की सेवा निर्यात वृद्धि 12.8प्रतिशत तक बढ़ी, जो वित्त वर्ष 2024 में 5.7प्रतिशत थी।
आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) ने यह भी रेखांकित किया कि सेवा व्यापार और रिकॉर्ड प्रेषण द्वारा बाहरी क्षेत्र की स्थिरता सुनिश्चित हुई है। अप्रैल-दिसंबर 2024 में भारत के व्यापारिक निर्यात में 1.6प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि व्यापारिक आयात में 5.2प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। भारत के मजबूत सेवा निर्यात ने इसे वैश्विक सेवा निर्यात में सातवीं सबसे बड़ी हिस्सेदारी दिलाई है, जो उसकी प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रदर्शित करता है।
सेवा क्षेत्र ने विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) के प्रवाह का सबसे बड़ा हिस्सा प्राप्त किया है, जो वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में कुल इक्विटी प्रवाह का 19.1 प्रतिशत रहा। सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि भारत का दीर्घकालिक एफडीआई दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है। सेवा व्यापार अधिशेष और विदेशों से प्राप्त धन में निजी हस्तांतरणों का शुद्ध प्रवाह बढ़ा है। भारत, जो दुनिया में धन प्रेषण का शीर्ष प्राप्तकर्ता है, ने आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) देशों में रोजगार सृजन के साथ इस प्रवृत्ति को और बढ़ावा दिया है।
इन दो प्रमुख कारकों के कारण, भारत का चालू खाता घाटा (CAD) वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में जीडीपी के 1.2प्रतिशत तक सीमित रहा। सर्वेक्षण के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में कुल FDI प्रवाह में सुधार हुआ है, जो वित्त वर्ष 2024 के पहले आठ महीनों में 47.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 की समान अवधि में 55.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो कि 17.9 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर्शाता है।
हालाँकि, 2024 की दूसरी छमाही में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) प्रवाह अस्थिर रहा, मुख्य रूप से वैश्विक भू-राजनीतिक और मौद्रिक नीति के कारण। आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) के अनुसार स्थिर पूंजी प्रवाह के परिणामस्वरूप, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार जनवरी 2024 के अंत में 616.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर सितंबर 2024 में 704.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 90 प्रतिशत बाहरी ऋण को कवर करता है और दस महीने से अधिक के आयात कवर प्रदान करता है, जो देश को बाहरी कमजोरियों से सुरक्षा प्रदान करता है।
निवेश और अवसंरचना (Investment and infrastructure)
आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) 2024-25 के अनुसार, सरकार ने अवसंरचना विकास पर विशेष जोर दिया है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2020 से 2024 तक पूंजी व्यय (CapEx) में 38.8प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रेलवे और सड़क कनेक्टिविटी में सुधार के साथ व्यापार और परिवहन को प्रोत्साहन मिला है। सरकार के कुल व्यय के प्रतिशत के रूप में पूंजीगत व्यय में वित्त वर्ष 2021 से 2024 तक लगातार सुधार देखने को मिला है। सर्वेक्षण के अनुसार, आम चुनावों के बाद जुलाई-नवंबर 2024 के दौरान सरकार के पूंजीगत व्यय में 8.2प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अप्रैल-नवंबर 2024 के दौरान सकल कर राजस्व (GTR) में 10.7प्रतिशत की वृद्धि होने के बावजूद, राज्यों को हस्तांतरण के बाद सरकार द्वारा रखे गए कर राजस्व में मामूली वृद्धि ही हुई है। नवंबर तक, सरकार के घाटे के संकेतक संतुलित स्थिति में थे, जिससे शेष वर्ष में विकास और पूंजीगत व्यय के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध थी।
सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि अप्रैल-नवंबर 2024 की अवधि के दौरान सरकार के सकल कर राजस्व (GTR) और राज्यों के स्वयं के कर राजस्व (OTR) में समान गति से वृद्धि देखी गई। इसी अवधि में राज्यों का राजस्व व्यय 12 प्रतिशत (वर्ष दर वर्ष) बढ़ा, जबकि सब्सिडी और प्रतिबद्ध देनदारियों में क्रमशः 25.7 प्रतिशत और 10.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
बुनियादी ढाँचा (Infrastructure)
आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) में यह महत्त्वपूर्ण बात कही गई है कि अगले दो दशकों में बुनियादी ढाँचे में निरंतर निवेश बढ़ाना आवश्यक है ताकि उच्च वृद्धि को बनाए रखा जा सके। रेलवे कनेक्टिविटी के तहत, अप्रैल और नवंबर 2024 के बीच 2031 किलोमीटर रेलवे नेटवर्क का विस्तार किया गया और वंदे भारत ट्रेनों की 17 नई जोड़ी अप्रैल और अक्टूबर 2024 के बीच शुरू की गईं। वित्त वर्ष 2025 में बंदरगाह क्षमता में महत्त्वपूर्ण सुधार हुआ, जिससे परिचालन दक्षता में वृद्धि हुई। प्रमुख बंदरगाहों में औसत कंटेनर टर्नअराउंड समय वित्त वर्ष 2024 के 48.1 घंटे से घटकर वित्त वर्ष 2025 (अप्रैल-नवंबर) के दौरान 30.4 घंटे रह गया।
सामाजिक क्षेत्र और कल्याणकारी योजनाएँ (Social Sector and Welfare Schemes)
सरकार कई योजनाओं को लागू कर रही है जो सामाजिक सुरक्षा और जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए महत्त्वपूर्ण साबित हो रही हैं:
- प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY-G): 2.63 करोड़ से अधिक घरों का निर्माण पूरा किया गया।
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना: 15.14 लाख किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया।
- ‘पोषण भी, पढ़ाई भी’ कार्यक्रम: आंगनवाड़ियों को मजबूत करने के लिए यह कार्यक्रम लागू किया गया।
ये योजनाएँ ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जीवन स्तर को बेहतर बनाने में सहायक सिद्ध हो रही हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) 2024-25 के अनुसार, सरकार के सामाजिक सेवा व्यय में वित्त वर्ष 2021 से वित्त वर्ष 2025 तक 15प्रतिशत (केंद्र और राज्यों के लिए संयुक्त) की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर देखी गई है। गिनी गुणांक (जो उपभोग व्यय में असमानता को मापने का एक उपाय है) हाल के वर्षों में घटा है, जो आय वितरण में सुधार के लिए सरकार की पहल के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए गिनी गुणांक 2022-23 में 0.266 से घटकर 2023-24 में 0.237 हो गया, जबकि शहरी क्षेत्रों के लिए यह 2022-23 में 0.314 से घटकर 2023-24 में 0.284 हो गया।
शिक्षा क्षेत्र (Education Sector)
सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कई कार्यक्रमों पर काम कर रही है, जिनमें समग्र शिक्षा अभियान, दीक्षा, स्टार्स, परख, पीएम श्री, उल्लास, पीएम पोषण आदि शामिल हैं।
स्वास्थ्य क्षेत्र (Health sector)
स्वास्थ्य क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण सुधार हुए हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, वित्त वर्ष 2015 और वित्त वर्ष 2022 के बीच देश के कुल स्वास्थ्य व्यय में सरकारी स्वास्थ्य व्यय की हिस्सेदारी 29प्रतिशत से बढ़कर 48प्रतिशत हो गई है। इस दौरान, कुल स्वास्थ्य व्यय में आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय की हिस्सेदारी 62.6प्रतिशत से घटकर 39.4प्रतिशत हो गई है।
जलवायु और ऊर्जा नीति (Climate and Energy Policy)
सरकार पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए कई योजनाएँ लागू कर रही है:
- ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत भारत खुद को एक प्रमुख निर्यातक बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
- 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि का लक्ष्य रखते हुए, भारत कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रयासरत है।
यह दिखाता है कि भारत केवल आर्थिक विकास पर नहीं, बल्कि टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल विकास पर भी ध्यान दे रहा है।
नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy)
आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) में भारत सरकार द्वारा देश में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए किए गए विभिन्न प्रयासों को रेखांकित किया गया है। इनमें पीएम-सूर्य घर योजना (जो मुफ्त बिजली प्रदान करती है), राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम, राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, और पीएम-कुसुम योजना जैसी नीतियाँ, वित्तीय प्रोत्साहन और नियामक उपाय शामिल हैं। इन योजनाओं के माध्यम से हरित निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है। सौर और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में क्षमता वृद्धि के परिणामस्वरूप, दिसंबर 2024 तक अक्षय ऊर्जा क्षमता में साल दर साल 15.8प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
निष्कर्ष (Conclusion)
आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) 2024-25 यह स्पष्ट करता है कि भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर और मजबूत गति से आगे बढ़ रही है। सरकार राजकोषीय अनुशासन, निर्यात संवर्धन, रोजगार वृद्धि और हरित ऊर्जा पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है। आने वाले वर्षों में, भारत 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। इस सर्वेक्षण के अनुसार, यदि भारत प्रमुख क्षेत्रों जैसे उद्योग, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और निवेश में अपनी नीतियों को सुदृढ़ बनाए रखता है, तो यह वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में मजबूती से बढ़ सकता है।
हालाँकि, वित्त वर्ष 2026 के लिए भारत की आर्थिक संभावनाएँ संतुलित हैं। विकास के रास्ते में बढ़ती भू-राजनीतिक और व्यापार अनिश्चितताएँ, साथ ही संभावित कमोडिटी मूल्य झटके प्रमुख बाधाएँ हो सकती हैं। घरेलू स्तर पर, निजी पूंजीगत सामान क्षेत्र में निरंतर निवेश वृद्धि, उपभोक्ता विश्वास में सुधार और कॉर्पोरेट वेतन वृद्धि को बढ़ावा देने के प्रयास महत्त्वपूर्ण होंगे। कृषि उत्पादन में वृद्धि, खाद्य मुद्रास्फीति में अनुमानित कमी और स्थिर मैक्रो-आर्थिक वातावरण के चलते ग्रामीण मांग को बल मिलेगा, जो निकट अवधि में विकास को बढ़ावा देगा।
कुल मिलाकर, भारत को अपनी मध्यम अवधि की विकास क्षमता को सुदृढ़ करने के लिए संरचनात्मक सुधारों और विनियमन के माध्यम से अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करना होगा।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 का सार (Summary of Economic Survey 2024-25)
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, 2024 में वैश्विक अर्थव्यवस्था ने स्थिर लेकिन असमान वृद्धि दिखाई, लेकिन विनिर्माण क्षेत्र में मंदी आई। हालांकि, सेवा क्षेत्र में अच्छी वृद्धि दर्ज की गई। भारत की आर्थिक वृद्धि की दर 2024 में 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो वैश्विक मंदी के बावजूद सकारात्मक है।
- आर्थिक वृद्धि और जीडीपी (GDP) सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत ने वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद स्थिर आर्थिक वृद्धि हासिल की है। 2025 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसमें सेवा क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र, और कृषि क्षेत्र का योगदान अहम रहेगा।
- विनिर्माण क्षेत्र (Manufacturing sector) विनिर्माण क्षेत्र महामारी से उबरने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अभी भी वैश्विक मांग और आपूर्ति श्रृंखला में समस्याएं हैं। 2025 में विनिर्माण क्षेत्र में 6.2 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है।
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) MSME क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है। सरकार ने इसके लिए 50,000 करोड़ रुपये के फंड के साथ आत्मनिर्भर भारत कोष शुरू किया है।
- मुद्रास्फीति और रोजगार (Inflation and Employment) महंगाई नियंत्रण में है, और सरकार रोजगार बढ़ाने के लिए प्रयास कर रही है। खुदरा मुद्रास्फीति 2024-25 में 5.4 प्रतिशत रही। सरकार रोजगार सृजन के लिए कौशल विकास और स्टार्टअप्स को बढ़ावा दे रही है।
- मौद्रिक और वित्तीय क्षेत्र (Monetary and Financial Sector) बैंकिंग क्षेत्र में सुधार देखा गया है, और विदेशी निवेश में स्थिरता बनी हुई है। शेयर बाजार ने अच्छे प्रदर्शन की ओर इशारा किया है, और पेंशन और बीमा क्षेत्रों में विस्तार हुआ है।
- विदेशी व्यापार और निवेश (Foreign Trade and Investment) भारत का व्यापार और निवेश माहौल स्थिर बना हुआ है। निर्यात में वृद्धि हुई है, और FDI प्रवाह में भी सुधार हुआ है।
- निवेश और अवसंरचना (Investment and Infrastructure) सरकार ने अवसंरचना विकास पर जोर दिया है। रेलवे और सड़क कनेक्टिविटी में सुधार हुआ है, और बुनियादी ढांचे में निरंतर निवेश की आवश्यकता है।
- सामाजिक क्षेत्र और कल्याणकारी योजनाएँ (Social Sector and Welfare Schemes) प्रधानमंत्री आवास योजना और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसे कई योजनाएँ लागू की गई हैं, जो जीवन स्तर में सुधार ला रही हैं।
- जलवायु और ऊर्जा नीति (Climate and Energy Policy) भारत ने ग्रीन हाइड्रोजन मिशन और नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, ताकि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखा जा सके।
निष्कर्ष
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर और मजबूत गति से बढ़ रही है। यदि भारत अपनी नीतियों को सही दिशा में बनाए रखे, तो यह वैश्विक आर्थिक शक्ति बन सकता है। हालांकि, भू-राजनीतिक और व्यापार अनिश्चितताएँ विकास में बाधा डाल सकती हैं।
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