उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code: UCC) के नियमों को मंजूरी
उत्तराखंड में आज, सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) नियमावली को मंजूरी दी गई। यह मंजूरी राज्य सचिवालय के विधायी विभाग द्वारा गहन जाँच के बाद दी गई, जिसने पहले ही नियमावली की समीक्षा की थी। जानकारी के अनुसार, 26 जनवरी को राज्य में समान नागरिक संहिता कानून लागू किया जाएगा। इस नियमावली में तत्काल पंजीकरण, दूरदराज क्षेत्रों में घर-घर सेवाएं जैसे प्रमुख प्रावधान शामिल हैं। दरअसल, उत्तराखंड में यूसीसी कानून पर लंबे समय से चर्चाएँ चल रही थीं। मुख्यमंत्री धामी ने 2022 के चुनावों के दौरान वादा किया था कि उनकी सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में यूसीसी का प्रस्ताव लाया जाएगा और इसको राज्य में लागू किया जाएगा।
उच्च स्तरीय समिति की UCC में भूमिका
उत्तराखंड सरकार ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए पाँच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। इसने राज्य के ढाई लाख से ज्यादा लोगों के सुझाव लिए। समिति ने पूरा मसौदा तैयार कर सरकार को यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट दिया। इसके आधार पर, उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता विधेयक, 2024 को प्रस्तुत किया था, जिसे 7 फरवरी, 2024 को विधानसभा ने पारित किया गया था। राष्ट्रपति की सहमति के बाद 12 मार्च, 2024 को अधिनियम को अधिसूचित किया गया था। हालाँकि, यूसीसी कानून बनने के बावजूद इसके नियम और विनियम नहीं बने थे। इसलिए एक समिति बनाई गई जिसने नियमावली तैयार की और इसे आज अर्थात् 20 जनवरी 2025 को उत्तराखंड कैबिनेट बैठक में मंजूरी दी गई। अब इसे जल्द ही लागू किया जाएगा।
उत्तराखंड Uniform Civil Code (UCC) के प्रमुख प्रावधान
इसमें विवाह, तलाक, बेटियों को संपत्ति में अधिकार, लिविंग रिलेशनशिप का पंजीकरण/रजिस्ट्रेशन और गोद लेने का अधिकार जैसे मुद्दे शामिल हैं। पंजीकरण के लिये उत्तराखंड सरकार ने एक अत्याधुनिक पोर्टल लॉन्च किया है। पोर्टल द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की सूची में विवाह, तलाक और लिव-इन पंजीकरण, लिव-इन संबंधों की समाप्ति, बिना वसीयत के उत्तराधिकार और कानूनी उत्तराधिकारियों की घोषणा, वसीयत उत्तराधिकार, आवेदन खारिज होने की स्थिति में अपील, सूचना तक पहुँच और शिकायत पंजीकरण शामिल हैं। सरकार की मानें तो लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण और समाप्ति प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। एक साथी द्वारा समाप्ति आवेदन के लिए दूसरे साथी से पुष्टि की आवश्यकता होगी।
Uniform Civil Code (UCC) लागू करने वाला पहला राज्य होगा उत्तराखंड
आजादी के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य है, जो यूसीसी लागू करने जा रहा है। हालाँकि, गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही U.C.C. लागू है।
समान नागरिक संहिता ( Uniform Civil Code: UCC) के बारे में
UCC सामाजिक मामलों से जुड़ा कानून है। इसके तहत सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, संपत्ति और उत्तराधिकार आदि के लिये एक समान कानून लागू होते हैं। अर्थात् किसी भी धर्म को मानने वाले नागरिकों के लिए ये कानून समान रूप से लागू होते हैं। इसका जिक्र संविधान के अनुच्छेद 44 में किया गया है। इसमें कहा गया है कि राज्य भारत के समस्त राज्य क्षेत्र में नागरिकों के लिये एक समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रयास करेगा।
असल में, भारत एक पंथ निरपेक्ष देश है। ऐसे में धर्म के आधार पर अलग-अलग कानूनों का निर्माण तार्किक प्रतीत नहीं होता है। वहीं, संविधान में धार्मिक अधिकार एक मूल अधिकार है और विवाह, उत्तराधिकार तथा तलाक आदि को धार्मिक अधिकार का एक महत्त्वपूर्ण अवयव माना जाता है। इसलिये, समान नागरिक संहिता को धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप के रूप में देखा जाता है। लेकिन, यहाँ ये भी गौर करना चाहिए कि संविधान में उल्लिखित है कि सामाजिक सुधारों और सामाजिक कल्याण के लिये राज्य या सरकार के द्वारा धार्मिक गतिविधियों को विनियमित किया जा सकता है। इसलिये, समान नागरिक संहिता को धार्मिक अधिकार में हस्तक्षेप के रूप नहीं देखा जाना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी शाहबानो केस में कहा था कि समान नागरिक संहिता का निर्माण होना चाहिए।
निष्कर्षतः समान नागरिक संहिता (U.C.C.) का विचार एक सामाजिक मुद्दा है, जो प्रगतिशील प्रतीत होता है। लेकिन वर्तमान में यह एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है। महिला सशक्तीकरण और पंथनिरपेक्ष के नाम पर इसके जरिये वोट बैंक बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
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