प्रश्न- नेपाल में चीन के बढ़ते प्रभाव से भारत के लिए नवीन सुरक्षा संकट उत्पन्न हो रहा है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं कि नेपाल के विकास हेतु भारत और चीन के बीच साझेदारी संभव है? (UPSC)
उत्तर– नेपाल, भारत का एक छोटा पड़ोसी देश है। साथ ही वह भौगोलिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से भारत से गहराई से जुड़ा हुआ है। मुक्त सीमा के कारण दोनों देशों के सुरक्षा हित भी साझा है। हालाँकि, भारत और चीन के बीच गहरे अविश्वास के चलते नेपाल के विकास में साझेदारी की संभावना सीमित प्रतीत होती है।
चीन, वैश्विक महाशक्ति बनने के प्रयास में, आर्थिक और सामरिक संबंधों को मजबूत कर रहा है। नेपाल की वर्तमान साम्यवादी सरकार चीन के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता दे रही है। नेपाल ने चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को अपनाया है, जिससे उसके बुनियादी ढाँचे में बड़ा निवेश हो रहा है। इसके अलावा, नेपाल-चीन सैन्य सहयोग में भी बढ़ोतरी देखी गई है।
भारत को नेपाल और चीन के बढ़ते सामरिक संबंधों पर आपत्ति है। भारत की चिंता है कि नेपाल की भूमि का उपयोग चीन भारत के खिलाफ कर सकता है। यह विशेष रूप से संवेदनशील है क्योंकि भारत-चीन सीमा विवाद अभी तक अनसुलझा है। डोकलाम विवाद और गलवान घाटी में हुई घटनाएँ इस अविश्वास को गहराती हैं। साथ ही, चीन द्वारा पाकिस्तान का सभी विषयों पर समर्थन और भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का विरोध भारत के लिए समस्याजनक है।
हालाँकि, वैश्वीकरण और उदारीकरण के वर्तमान युग में चीन को अवसर के रूप में देखा जा सकता है। नेपाल के विकास में चीन और भारत की सहभागिता उपयोगी हो सकती है। चीन अवसंरचना विकास में मदद कर सकता है, जबकि भारत मानव संसाधन और सांस्कृतिक जुड़ाव के माध्यम से विकास को गति दे सकता है।
निष्कर्षतः नेपाल के लिए चीन भारत का विकल्प नहीं हो सकता, क्योंकि नेपाल भौगोलिक और आर्थिक रूप से भारत पर निर्भर है। उसका अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भारत के कोलकाता बंदरगाह के माध्यम से होता है। सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी भारत-नेपाल के संबंध अत्यधिक घनिष्ठ हैं। भारत और चीन के बीच गहरे अविश्वास को देखते हुए नेपाल के विकास हेतु त्रिपक्षीय साझेदारी व्यावहारिक रूप से कठिन है। नेपाल को भारत और चीन दोनों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखते हुए अपने विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
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