रूसो के चिंतन में समाजवाद, प्रजातंत्र एवं निरंकुशता के बीज विद्यमान हैं। टिप्पणी कीजिए। (UPSC)

Rousseau's Thoughts

प्रश्न: रूसो के चिंतन में समाजवाद, प्रजातंत्र एवं निरंकुशता के बीज विद्यमान हैं। टिप्पणी कीजिए।

उत्तर- रूसो, एक प्रबोधन कालीन फ्रांसीसी राजनीतिक विचारक है, जिसने मानव अधिकार, स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व पर बल दिया।

रूसो के समाजवादी विचारों का आधार उनकी पुस्तक “डिस्कोर्स ऑन द ओरिजिन ऑफ इनइक्वैलिटी” में निहित है। उन्होंने निजी संपत्ति को असमानता और अन्याय का मूल कारण बताया। उनके अनुसार, समाज में समानता और सामूहिक कल्याण के लिए निजी संपत्ति का उचित नियंत्रण आवश्यक है। यह विचार आधुनिक समाजवाद के सिद्धांतों से मेल खाता है।

प्रजातंत्र के बीज रूसो की कृति सोशल कॉन्ट्रैक्ट” में प्रकट होते हैं। उन्होंने “सामूहिक इच्छा” (General Will) का सिद्धांत दिया, जिसमें जनता की सामूहिक इच्छाएं सर्वोपरि होती हैं। उनका मानना था कि जनता अपने अधिकारों को सामान्य हित के लिए एक सामाजिक अनुबंध के तहत समर्पित करती है। यदि शासनकर्ता “सामूहिक इच्छा” के विपरीत कार्य करता है, तो जनता को उसे हटाने का अधिकार है। यह विचार प्रजातांत्रिक व्यवस्था का मूल आधार है।

हालाँकि, रूसो की “सामूहिक इच्छा” की अवधारणा में निरंकुशता के तत्व भी देखे जा सकते हैं। यदि “सामूहिक इच्छा” का दुरुपयोग हो, तो यह व्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन कर सकती है, जैसा कि फ्रांस की क्रांति के दौरान रोबोस्पियर ने आतंक के राज्य की स्थापना के समय किया था। रूसो का यह पक्ष निरंकुशता की ओर संकेत करता है।

इस प्रकार, रूसो के चिंतन में समाजवाद, प्रजातंत्र और निरंकुशता के बीज इस बात को दर्शाते हैं कि उनके विचार कई राजनीतिक व्यवस्थाओं का आधार बन सकते हैं। हालाँकि, निरंकुशता के संबंध में रूसो ने कुछ नहीं कहा, यह तो उसके सामान्य इच्छा के सिद्धांत की विकृत व्याख्या से उत्पन्न होती है।


Discover more from UPSC Web

Subscribe to get the latest posts sent to your email.