स्टेम-सेल (Stem Cell) उपचार से दृष्टि बहाल करने वाला पहला मानव अध्ययन

First-Ever Stem-Cell Treatment Restores Vision in Four People

नए स्टेम सेल उपचार से चार लोगों की दृष्टि वापस आई

हाल ही में जापान में किए गए एक महत्त्वपूर्ण अध्ययन में, प्लुरिपोटेंट स्टेम-सेल से बने कॉर्नियल उपकला के प्रत्यारोपण ने चार रोगियों में दृष्टि को बहाल करने में सफलता प्राप्त की है। यह अध्ययन एकल-भुजा और ओपन-लेबल डिजाइन में किया गया था। इसने दर्शाया कि कैसे स्टेम-सेल तकनीक ने गंभीर आंखों की समस्याओं का समाधान किया है। दरअसल इस अध्ययन में, चार रोगियों को स्टेम-सेल प्रत्यारोपण दिए गए, जिन्होंने गंभीर दृष्टि हानि का सामना किया था। इनमें से तीन रोगियों ने एक वर्ष से अधिक समय तक अपनी दृष्टि में महत्त्वपूर्ण सुधार अनुभव किया। गंभीर रूप से क्षीण दृष्टि वाले चौथे व्यक्ति की दृष्टि में भी सुधार हुआ, लेकिन यह स्थायी नहीं रहा। गौरतलब है कि ये चारों रोगी पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने क्षतिग्रस्त कॉर्निया के इलाज के लिए पुनः प्रोग्रामित स्टेम-सेल से बने प्रत्यारोपण प्राप्त किए हैं। यह अध्ययन दुनिया में पहली बार स्टेम-सेल उपचार द्वारा दृष्टि बहाल करने का एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण बन गया है।

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iPSCs

अध्ययन में बताया गया है कि रोगियों की आँखों में स्टेम-सेल प्रत्यारोपण करने से पहले, शोधकर्ताओं ने उन परतों को हटाया जो स्कार टिश्यू (Scar tissue) से ढकी हुई थीं। दो वर्षों के बाद, शोधकर्ताओं ने पाया कि रोगियों में कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं देखे गए। प्रत्यारोपण ने ट्यूमर का निर्माण नहीं किया और न ही प्रत्यारोपित कोशिकाओं को रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा अस्वीकृत किया गया। हालाँकि, चौथे रोगी ने भी प्रारंभिक लाभ देखा, लेकिन यह लंबे समय तक नहीं टिक सका।

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इस अध्ययन के परिणामों से पता चलता है कि स्टेम-सेल आधारित उपचार दृष्टिहीनता के इलाज में एक नई दिशा प्रदान कर सकते हैं। यही कारण है कि शोधकर्ता अब बड़े क्लिनिकल ट्रायल शुरू करने की योजना बना रहे हैं, ताकि इस तकनीक की प्रभावशीलता और सुरक्षा का और मूल्यांकन किया जा सके। यह अध्ययन न केवल कॉर्नियल रोगों के लिए एक नई आशा प्रस्तुत करता है, बल्कि यह भविष्य में अन्य चिकित्सा क्षेत्रों में भी स्टेम-सेल तकनीकों के उपयोग की संभावनाओं को उजागर करता है।

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Limbal stem-cell deficiency (LSCD)-

Limbal stem-cell deficiency UPSC

आपको बता दें कि आँख का कॉर्निया (Cornea) एक स्तरीकृत उपकला (Stratified Epithelium)  द्वारा ढका होता है, जो दृष्टि के लिए आवश्यक है। लिंबस में कॉर्नियल उपकला में स्टेम कोशिकाओं का एक भंडार होता है, जो आधार पर स्थित होते हैं। ये कोशिकाएँ केंद्रीय कॉर्निया को उपकला कोशिकाओं की निरंतर आपूर्ति प्रदान करने के लिए बढ़ती हैं, जिससे इसकी स्वस्थ अवस्था बनी रहती है। गौरतलब है कि लिंबस एक शारीरिक क्षेत्र है जो कॉर्निया के किनारे पर स्थित होता है, जहाँ यह श्वेतपटल (आँख का सफेद भाग) से जुड़ता है।

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कॉर्नियल लिम्बल उपकला स्टेम कोशिकाएँ अत्यधिक प्रोलिफ़ेरेटिव (Proliferative) होती हैं और p63 प्रतिलेखन कारक को व्यक्त करती हैं। ये कोशिकाएँ होलोक्लोन (Holoclone) बनाने की क्षमता प्रदर्शित करती हैं। इनकी अनुपस्थिति में या जब ये अपर्याप्त संख्या में मौजूद होते हैं, तो मरीज़ एक ऐसी स्थिति से पीड़ित होते हैं जिसे लिम्बल स्टेम-सेल की कमी (LSCD) के रूप में जाना जाता है। एकतरफा एलएससीडी (Unilateral LSCD) अक्सर थर्मल या रासायनिक जलन के कारण आँख को होने वाले आघात जैसे अधिग्रहित गैर-प्रतिरक्षा-मध्यस्थ एटिओलॉजी से जुड़ा होता है। द्विपक्षीय एलएससीडी (Bilateral LSCD) अधिग्रहित प्राथमिक प्रतिरक्षा-मध्यस्थ एटिओलॉजी या अज्ञातहेतुक (किसी बीमारी का कोई स्पष्ट कारण या तंत्र न होना) या वंशानुगत बीमारी जैसे जन्मजात एनिरिडिया के कारण हो सकते हैं। इसकी उत्पत्ति चाहे जो भी हो, एलएससीडी आमतौर पर फाइब्रोटिक कंजंक्टिवल ऊतक द्वारा कॉर्नियल सतह को ढंकने और परिणामस्वरूप दृष्टि की हानि की ओर ले जाता है।

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इसीलिये, एलएससीडी के प्रबंधन के लिए नेत्र सतह के अनुकूलन और उसके बाद कॉर्नियल सतह से कंजंक्टिवल निशान ऊतक को शल्य चिकित्सा द्वारा हटाने की आवश्यकता होती है। उसके बाद कार्यात्मक कॉर्नियल उपकला ऊतक का ग्राफ्ट (Graft) किया जाता है। ग्राफ्ट एक शल्य प्रक्रिया है जिसमें क्षतिग्रस्त या रोगग्रस्त ऊतक को प्रतिस्थापित करने के लिए शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में या किसी अन्य जीव से ऊतक को स्थानांतरित किया जाता है। ग्राफ्ट सामग्री का चयन रोग के प्रकार पर निर्भर करता है।

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स्तंभ कोशिकाएँ क्या होती हैं? (what are stem cells?)

what are stem cells UPSC

जंतुओं के शरीर में पाई जाने वाली ऐसी कोशिकाएँ जिनमें शरीर के किसी भी अंग की कोशिका के रूप में विकसित होने की क्षमता विद्यमान होती है, स्तंभ कोशिकाएँ (Stem cells) कहलाती हैं। ये कोशिकाएँ विभाजन द्वारा अपनी संख्या को दीर्घकाल तक बढ़ाती रहती हैं।

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स्तंभ कोशिकाओं के प्रमुख लक्षण (Key Characteristics of Stem Cells)

  1. ये स्वयं अविशेषीकृत होती हैं, लेकिन कोशिका विभाजन के द्वारा विशेषीकृत कोशिकाओं का निर्माण करती हैं।
  2. इनमें विभाजन के कई चक्रों को पूरा करने की क्षमता होती है।
  3. इनमें स्वयं को नवीनीकृत करने की क्षमता होती है।
  4. इनमें विभाजन के द्वारा अलग-अलग प्रकार की कोशिकाओं को बनाने की क्षमता होती है।

स्तंभ कोशिकाओं का कार्य (Role of stem cells)

  1. स्तंभ कोशिकाओं का मुख्य कार्य शरीर में क्षतिग्रस्त कोशिकाओं का पुनर्उद्भवन करना।
  2. सामान्य रूप से नष्ट हो रही कोशिकाओं की क्षतिपूर्ति करना।
  3. सामान्य वृद्धि विकास और भ्रूण कोशिका के लिए नई कोशिकाओं की आपूर्ति करना।

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स्तंभ कोशिकाओं के प्रकार (Types of stem cells)

  1. टोटीपोटेंट (Totipotent) स्तंभ कोशिकाएँ- ये सबसे शक्तिशाली स्टेम कोशिकाएँ होती हैं, जो एक सम्पूर्ण जीव को विकसित करने की क्षमता रखती हैं। उदाहरण: निषेचित अंडा (zygote) एक सम्पूर्णप्रबल स्टेम कोशिका का उदाहरण है।
  2. प्लूरीपोटेंट (Pluripotent) स्तंभ कोशिकाएँ- ये कोशिकाएँ सभी प्रकार के ऊतकों में विभेदन कर सकती हैं, लेकिन सम्पूर्ण जीव नहीं बना सकतीं। उदाहरण: भ्रूणीय स्टेम कोशिकाएँ (Embryonic Stem Cells) इस श्रेणी में आती हैं।
  3. मल्टीपोटेंट (Multipotent) स्तंभ कोशिकाएँ– ये एक विशेष प्रकार के ऊतकों में विभेदन कर सकती हैं, जैसे रक्त, मांसपेशी या तंत्रिका ऊतकों में। उदाहरण: मेसेंकाईमल स्टेम कोशिकाएँ (Mesenchymal Stem Cells) और हेमेटोपोइएटिक स्टेम कोशिकाएँ (Hematopoietic Stem Cells)।
  4. ओलिगोपोटेंट (Oligopotent) स्तंभ कोशिकाएँ- ये केवल कुछ विशिष्ट प्रकार की कोशिकाओं में विभेदन कर सकती हैं। उदाहरण: लिम्फोइड स्टेम कोशिकाएँ जो केवल लिम्फोसाइट्स और अन्य सम्बंधित कोशिकाओं में विभेदित होती हैं।
  5. यूनिपोटेंट (Unipotent) स्तंभ कोशिकाएँ- ये केवल एक विशेष प्रकार की कोशिका में विभेदन कर सकती हैं, लेकिन इनमें स्व-नवीनीकरण की क्षमता होती है। उदाहरण: मांसपेशी स्टेम कोशिकाएँ केवल मांसपेशी ऊतकों में विभेदन करती हैं।
  6. Induced Pluripotent स्टेम कोशिकाएँ (iPSCs)- ये एक विशेष प्रकार की स्टेम कोशिकाएँ हैं, जिन्हें वयस्क somatic कोशिकाओं से पुनः प्रोग्रामिंग करके बनाया जाता है। ये कोशिकाएँ भ्रूणीय स्टेम कोशिकाओं (Embryonic Stem Cells) के समान गुणधर्म रखती हैं और इनमें विभेदन (differentiation) की अद्वितीय क्षमता होती है।

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