ट्रम्प 2.0 का भारत पर क्या होगा असर?

What will be the impact of Donald Trump's victory on India

डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की जीत का भारत पर क्या होगा असर?

डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) की राजनीतिक पारी एक बार फिर शुरू होने के साथ ही भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों पर अनिश्चितता छा गई है। संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में श्री डोनाल्ड ट्रम्प का नाम तय हो चुका है। वो दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति रद पर काबिज होने जा रहे हैं। उन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी कमला हैरिस को हराकर राष्ट्रपति चुनाव में जीत पक्की कर ली है। श्री ट्रम्प ने राष्ट्रपति पद हासिल करने के लिए आवश्यक 270 इलेक्टोरल वोट हासिल किए हैं। अपनी जीत पर ट्रंप ने कहा कि यह अमेरिका के लिए ‘स्वर्ण युग’ होगा। उन्होंने इसे ‘अब तक का सबसे महान राजनीतिक आंदोलन’ बताया है। गौरतलब है कि श्री डोनाल्ड ट्रंप ने इससे पहले वर्ष 2016 में डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता हिलेरी क्लिंटन के खिलाफ जीत हासिल की थी। लेकिन, उन्हें वर्ष 2020 में जो बाइडेन के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था।

trump victory

श्री डोनाल्ड ट्रंप की इस जीत पर भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर ट्वीट करते हुए लिखा कि मेरे मित्र डोनाल्ड ट्रंप को ऐतिहासिक चुनावी जीत पर हार्दिक बधाई। जैसा कि आप अपने पिछले कार्यकाल की सफलताओं को आगे बढ़ा रहे हैं, मैं भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए हमारे सहयोग को नवीनीकृत करने के लिए तत्पर हूँ। आइए हम सब मिलकर अपने लोगों की बेहतरी के लिए और वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए काम करें। ऐसे ही तमाम दूसरे देशों के नेताओं ने भी श्री ट्रंप को जीत की बधाई दी है। यूक्रेन के राष्ट्रपति श्री वोलोडिमिर जेलेंस्की ने एक्स पर लिखा है कि मुझे सितंबर में राष्ट्रपति ट्रंप के साथ हुई मुलाकात याद है। इस दौरान हमने यूक्रेन-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी, विजय योजना और यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता को खत्म करने के तरीकों पर चर्चा की थी। उधर, ईरान और हमास के साथ उलझे इसराइल के राष्ट्रपति श्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बधाई देते हुए कहा कि इतिहास की सबसे बड़ी वापसी की शुभकामनाएँ। व्हाइट हाउस में आपकी ऐतिहासिक वापसी अमेरिका के लिये एक नई शुरुआत है। ये इसराइल और अमेरिका के महान गठजोड़ के लिये एक प्रतिबद्धता को दोहराता है।

Donald Trump

अब इस सबसे हटकर बात करें तो अमेरिकी चुनाव दुनिया के लिहाज से भी महत्त्वपूर्ण होते हैं। यही कारण है कि तमाम देशों की निगाहें इस पर टिकी होती हैं। उनके दूसरे कार्यकाल का प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों में देखा जा सकता है, जिसमें व्यापार, निवेश और अंतर्राष्ट्रीय संबंध शामिल हैं। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था भी अछूती नहीं रहती है। ऐसे में श्री डोनाल्ड ट्रंप की इस जीत के भारतीय अर्थव्यवस्था पर कई महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकते हैं, जो फायदे और नुकसान दोनों के रूप में सामने आएंगे।

भारत के लिए फायदे

Donald trump and Narendra Modi

वर्ष 2017 से 2021 तक ट्रंप के राष्ट्रपति रहने के दौरान भारत-अमेरिका संबंधों में काफी उछाल देखा गया था। विशेषकर रक्षा संबंधों को बढ़ाने और आर्थिक सहयोग का विस्तार करने के मामले में दोनों देशों के संबंधों में तरक्की देखी गई थी। ऐसे में माना जा रहा है ट्रंप की नीतियों के कारण भारतीय निर्यातकों को लाभ मिल सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ चीन पर उच्च टैरिफ हैं। इससे भारत के ऑटो पार्ट्स, सौर उपकरण और रासायनिक उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ सकती है। साथ ही ट्रंप की जीत से भारतीय शेयर बाजार में सकारात्मक रुझान देखने को मिल सकता है। ट्रंप की जीत का शेयर बाजार ने भी स्वागत किया था। हालाँकि, इसके अगले दिन अर्थात 7 नवंबर को भारतीय शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली थी। लेकिन, जानकार मान रहे हैं आने वाले दिनों में बाजार की स्थिति सुधर सकती है। एमके ग्लोबल के अनुसार, यह स्थिति विदेशी पोर्टफोलियो निवेश को आकर्षित कर सकती है। इसके अलावा ट्रंप की जीवाश्म ईंधन नीतियों और चीन की धीमी आर्थिक वृद्धि के कारण ऊर्जा की लागत में कमी आ सकती है, जिससे भारतीय तेल और गैस कंपनियों को लाभ मिल सकता है। माना जा रहा है कि ट्रंप का जोर अमेरिका के औद्योगिक विकास पर होगा, जिससे भारतीय व्यापार को मदद मिलेगी।

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भारत के लिए नुकसान

डोनाल्ड ट्रंप कई बार नरेंद्र मोदी को अपना अच्छा दोस्त बता चुके हैं, लेकिन इसके साथ ही वे भारत की नीतियों पर हमला भी बोलते रहे हैं। उनके बयानों को देखें और जानकारों की मानें तो ट्रंप की आर्थिक नीतियाँ ‘अमेरिका प्रथम’ पर केंद्रित होगी। इससे वैश्विक बाजार में अस्थिरता पैदा होने की संभावना है। ऐसे में ट्रंप की नीतियों से ब्याज दरों में वृद्धि और अमेरिकी वस्तुओं की लागत बढ़ने से भारत में महंगाई बढ़ सकती है। इससे भारतीय कारोबार पर असर पड़ सकता है। वर्ष 2019 में जब ट्रंप की सरकार थी तो मोदी सरकार ने कई अमेरिकी वस्तुओं पर भारी कर लगाया था, क्योंकि ट्रंप सरकार ने भारत को स्टील और एल्यूमीनियम आयात पर बढ़े हुए कर से छूट देने से मना कर दिया था। इसकी प्रतिक्रिया में ट्रंप ने भारत को व्यापार में वरीयता की सामान्य व्यवस्था से बाहर कर दिया था। इस निर्णय से कई भारतीय वस्तुएँ अमेरिका में महंगी हो गईं थीं। समाचार एजेंसी बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर नज़र रखने वाले पत्रकार शशांक मट्टू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है, “ट्रंप की नज़र में भारत कारोबारी नियमों का बहुत ज्यादा उल्लंघन करता है। वो अमेरिकी वस्तुओं पर भारत का बहुत अधिक टैरिफ लगाना पसंद नहीं करते। ट्रंप चाहते हैं कि उनके देश से आयात होने वाली वस्तुओं पर 20 प्रतिशत तक ही टैरिफ लगे”। वो लिखते हैं, “कुछ अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अगर ट्रंप के टैरिफ नियम लागू हुए तो साल 2028 तक भारत की जीडीपी में 0.1 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। भारत और अमेरिका के बीच 200 अरब डॉलर का कारोबार होता है। अगर ट्रंप ने टैरिफ़ की दरें ज्यादा बढ़ाईं तो भारत को काफ़ी नुक़सान हो सकता है”। ऐसे में भारत को व्यापार बाधाओं को कम करने या टैरिफ का सामना करने के लिये मजबूर होना पड़ेगा। यह स्थिति भारतीय उद्योगों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है। इसमें ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स और टेक्सटाइल जैसे प्रमुख निर्यात क्षेत्रों को नुकसान हो सकता है।

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इसके अलावा ट्रंप ने पहले H-1B वीजा कार्यक्रम को सीमित करने का प्रयास किया था और माना जा रहा है कि वो इस बार भी ऐसा कर सकते हैं। इससे भारतीय आईटी पेशेवरों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। चूँकि, ट्रंप की नीतियाँ अमेरिका प्रथम की होंगी। इसलिये उनकी आर्थिक नीतियों से अमेरिकी डॉलर मजबूत हो सकता है, जिससे रुपये में गिरावट आएगी और आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी।

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप की जीत भारत के लिए कई संभावनाएँ और चुनौतियाँ लेकर आई है। जहाँ एक ओर व्यापारिक अवसरों का विस्तार हो सकता है, वहीं दूसरी ओर आर्थिक अस्थिरता और वीजा नीतियों में बदलाव भी चिंता का विषय हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन बदलावों का प्रभाव दीर्घकालिक होगा और भारत को अपनी रणनीतियों को समायोजित करने की आवश्यकता होगी।


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