मिलना और बिछड़ना: यथार्थ और नियति का खेल

why destiny brings people together

मशहूर शायर साहिर लुधियानवी का एक शेर है-

“वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन

 उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ देना अच्छा”

लेकिन मिलना-बिछड़ना नियति का खेल है या यह हमारे हाथों में यह सवाल हमेशा सबको परेशान करता आया है। हालाँकि, इसे यथार्थवादी और भाग्वादी दो विचारों से कुछ हद तक समझा जा सकता है। अगर यथार्थवादी या रियलीस्टिक नजरिये से देखा जाए तो मिलना और बिछड़ना सब कुछ लोगों के व्यवहार पर निर्भर करता है। एक-दूसरे के प्रति आकर्षण और जरूरतें लोगों को आपस में मिलाती हैं। आकर्षण और जरूरतें, ये दो तत्व लोगों के जीवन में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये दोनों ही कारक लोगों को आपस में जोड़ने और उनके बीच संबंध स्थापित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। दरअसल, आकर्षण वह पहली भावना होती है जो किसी भी संबंध की शुरुआत करती है। यह शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक स्तर पर हो सकता है। शारीरिक आकर्षण सबसे स्पष्ट और तात्कालिक होता है, जो किसी के बाहरी रूप-रंग, पहनावे या शारीरिक हाव-भाव से पैदा होता है। मानसिक और भावनात्मक आकर्षण थोड़ी गहराई में जाकर काम करता है। यह तब पैदा होता है जब दो लोग एक जैसी विचारधारा, रुचियाँ और जीवन के प्रति दृष्टिकोण साझा करते हैं। मनोविज्ञान के अनुसार, हम उन लोगों की ओर आकर्षित होते हैं जो हमें समझते हैं, हमारी तारीफ करते हैं और जिनके साथ हम एक सा भावनात्मक जुड़ाव महसूस करते हैं। यह आकर्षण हमें एक-दूसरे के करीब लाता है और हमारे बीच एक विशेष संबंध बनाता है। ऐसे ही आकर्षण की तरह जरूरतें भी संबंधों को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। जैसा कि हम अक्सर सुनते हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसे जीवन की तमाम जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरे लोगों की जरूरत होती है। ये जरूरतें भौतिक, भावनात्मक और मानसिक हो सकती हैं। भौतिक जरूरतें जैसे शारीरिक, भोजन, घर और सुरक्षा को पूरा करने के लिए हम एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं। इसके अलावा, भावनात्मक जरूरतें जैसे प्यार, सम्मान और स्वीकृति भी हमें दूसरों की ओर खींचती हैं। मानसिक जरूरतें जैसे विचारों का आदान-प्रदान, समर्थन और मार्गदर्शन भी हमें एक-दूसरे के करीब लाते हैं।

Why does destiny bring two people together?

इस तरह आकर्षण और जरूरतें एक-दूसरे के पूरक हैं। आकर्षण हमें एक-दूसरे के करीब लाने का पहला कदम होता है, जबकि जरूरतें हमें लंबे समय तक जुड़े रहने का कारण देती हैं। जब हम किसी व्यक्ति की ओर आकर्षित होते हैं और उनकी जरूरतों को समझते हैं, तो हमारे संबंध मजबूत और स्थायी बन जाते हैं। उदाहरण के तौर पर, दोस्ती में हम एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होते हैं क्योंकि हम एक जैसी रुचियाँ और दृष्टिकोण साझा करते हैं। यह आकर्षण हमारी भावनात्मक और मानसिक जरूरतों को पूरा करता है, जिससे हमारे रिश्ते को मजबूती मिलती है। लेकिन, जब एक-दूसरे के प्रति आकर्षण और जरूरतें खत्म होने लगती हैं, तो फिर रिश्तों में दरारें आने लगती हैं। आकर्षण की कमी से व्यक्ति एक-दूसरे के प्रति उदासीन हो जाते हैं। इसके अलावा, जब एक व्यक्ति की जरूरतें पूरी नहीं होतीं, तो वह असंतोष और निराशा महसूस करने लगता है। यह असंतोष धीरे-धीरे संबंध को कमजोर करता है और अंततः उसे समाप्त कर देता है।

हालाँकि, संबंधों का अंत हमेशा दर्दनाक होता है, लेकिन आकर्षण और जरूरतें खत्म होने की स्थिति में यह अक्सर अपरिहार्य या अनिवार्य होता है। इस स्थिति में, दोनों पक्ष एक-दूसरे से दूर हो जाते हैं और उनका भावनात्मक जुड़ाव टूट जाता है। यह टूट न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर भी असर डालती है। इस तरह यथार्थवादी नजरिये से देखें तो जब तक आकर्षण और जरूरत जैसे तत्व जिंदा रहते हैं, तब तक संबंध मजबूत और स्थायी रहते हैं और जब ये खत्म होते हैं, तो दो लोगों का बिछड़ना तय हो जाता है। इस तरह लोग कई कारणों से बिछड़ सकते हैं, जैसे- आत्म-मूल्य का संकट, आस्था और विश्वास का नुकसान, किसी का व्यवहार अचानक बदल जाना आदि।

Destiny

वहीं अगर इस सवाल का जबाव दर्शन में तलाशें तो दो लोगों का मिलना और फिर उनके बीच एक गहरे रिश्ते बनना, सब भाग्य है। इसके अनुसार मिलन कई बार महज संयोगों का परिणाम लगता जरूरत है, लेकिन हकीकत में यह नियति की एक सोची-समझी चाल होती है। भारतीय दर्शन में तो कर्म और पुनर्जन्म का महत्त्वपूर्ण स्थान है। ऐसा माना जाता है कि हमारे कर्म हमें अगले जीवन में प्रभावित करते हैं। हमारे पिछले जीवन के कर्म हमें इस जीवन में मिलाने और अलग करने का कारण बनते हैं। यह मिलन और अलगाव एक दिव्य योजना का हिस्सा हो सकता है, जो हमारी आत्मा की प्रगति के लिए आवश्यक है। प्रेम और नियति का संगम एक अद्भुत और रहस्यमय अनुभव है। नियति पहले ही तय कर देती है कि लोगों को कब मिलना है और कब बिछड़ना है। नियति जब दो लोगों को मिलाती है, तो वे एक-दूसरे के जीवन में स्थायी छाप छोड़ते हैं। लेकिन, यही नियति उनके बीच मिलने से पहले ही जुदाई भी लिख चुकी होती है। इसका यही खेल लोगों को अप्रत्याशित रास्तों पर ले जाता है। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि भाग्य ने किसी को हमारे जीवन में कुछ जरूरी अहसास कराने भेजा होता है। इसका मतलब यह है कि नियति दो लोगों को मिलाकर अलग करती है ताकि जीवन का पाठ सिखाया जा सके। दरअसल, भाग्य द्वारा लाये गए संबंध हमें जीवन के कई महत्त्वपूर्ण सबक सिखाते हैं। यह सबक हमें व्यक्तिगत विकास, सहनशीलता और सच्चे प्रेम के महत्त्व को समझाते हैं।  जैसे एक खूशबूदार फूल, जो कुछ समय के लिए हमारे जीवन में आता है और अपनी खुशबू छोड़ जाता है, वैसे ही कुछ लोग हमारे जीवन में आते हैं और हमें जीवन के महत्त्वपूर्ण सबक सिखाकर चले जाते हैं। असल में जब दो लोग मिलते हैं और एक गहरा संबंध बनाते हैं, तो यह हमें आत्म-विकास और आत्म-परिचय के लिए प्रेरित करता है। प्रेम संबंधों में हम स्वयं को गहराई से समझने का मौका पाते हैं। यह अनुभव हमें अपनी सीमाओं और क्षमताओं को पहचानने में मदद करता है। यह मिलन एक यात्रा की तरह होता है, जो हमें एक नए और बेहतर इंसान में भी बदल देता है। ये अनुभव हमें यादें देते हैं, जो हमारे जीवन की दिशा और उद्देश्य को समझने में मदद करती हैं। प्रेम और भाग्य का यह खेल हमारे जीवन को गहराई और अर्थ से भर देता है और यही इसकी असली सुंदरता है। इसके साथ ही मिलने-बिछड़ने को हम पृथ्वी की गति के साथ जोड़ सकते हैं क्योंकि कोई भी चीज यहाँ पर स्थाई नहीं है। जैसे कि जो आया है उसका जाना तय है।


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