भारत के लिए 2021-22 के राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान जारी किए गए। 2013-14 से 2021-22 में प्रति व्यक्ति कुल स्वास्थ्य व्यय 82% तक बढ़ा!

National Health Accounts Estimates

हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन द्वारा भारत के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान (National Health Accounts Estimates) के नौवें संस्करण के आँकड़े प्रकाशित किये गए हैं। इसके अनुसार भारत का प्रति व्यक्ति कुल स्वास्थ्य व्यय बढ़ा है। हालांकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के माप के रूप में कुल स्वास्थ्य व्यय 2013-14 से लगभग समान रहा है।

भारत के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान 2021-22 के अनुसार, 2021-22 में प्रति व्यक्ति कुल स्वास्थ्य व्यय वर्तमान मूल्यों पर 6,602 रुपये था जबकि 2013-14 में 3,638 रुपये था। यानी 2013-14 से 2021-22 में प्रति व्यक्ति कुल स्वास्थ्य व्यय 82% तक बढ़ा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान आंकड़ों के अनुसार राज्यों में, कुल स्वास्थ्य व्यय महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक था। वहीं सरकारी व्यय के सापेक्ष सबसे अधिक आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय वाले राज्य उत्तर प्रदेश थे, जिसका अनुमान कुल व्यय का 64 प्रतिशत था, इसके बाद केरल (59%) और पश्चिम बंगाल (58%) का स्थान था।

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राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान (National Health Accounts Estimates)2021-22 के मुख्य आँकड़े

राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान के वर्ष 2021-22 के अनुसार कुल स्वास्थ्य व्यय में सरकारी और निजी स्रोतों द्वारा किए गए चालू और पूंजीगत व्यय दोनों को शामिल किया जाए तो इस दौरान कुल 9,04,461 करोड़ रुपये, सकल घरेलू उत्पाद का 3.83 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया था। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कुल स्वास्थ्य व्यय के हिस्से के रूप में सरकारी स्वास्थ्य व्यय में 68 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके अनुसार सरकारी स्वास्थ्य व्यय 2013-14 के 28.6 प्रतिशत से बढ़कर 2021-22 में 48 प्रतिशत हो गया है। दूसरी ओर, इसी अवधि के दौरान कुल स्वास्थ्य व्यय के हिस्से के रूप में जेब से किए जाने वाले खर्च में 39 प्रतिशत की गिरावट आई है।  इससे पता चलता है कि देश में उपलब्ध वित्तीय सुरक्षा की सीमा बढ़ी है।

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राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान 2021-22 के मुख्य आंकड़ों के अनुसार भारत का वर्तमान स्वास्थ्य व्यय, जिसमें स्वास्थ्य सेवा उद्देश्यों के लिए केवल आवर्ती व्यय शामिल है, 7,89,760 करोड़ रुपये था। वर्तमान स्वास्थ्य व्यय में, केंद्र सरकार और राज्य का योगदान क्रमशः 15.94 प्रतिशत और 21.77 प्रतिशत था। इसके अलावा, बीमा योगदान सहित परिवारों का हिस्सा सबसे अधिक था। यह लगभग 3,99,136 करोड़ रुपये रहा, जो वर्तमान स्वास्थ्य व्यय का 51 प्रतिशत है।  रिपोर्ट के अन्य मुख्य बिन्दु हैं-

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  • कुल स्वास्थ्य व्यय के रूप में वर्तमान स्वास्थ्य व्यय स्वास्थ्य सेवा पर परिचालन व्यय 87 प्रतिशत था।
  • कुल स्वास्थ्य व्यय के अनुपात में निजी स्वास्थ्य बीमा व्यय 2013-14 से 2021-22 तक लगभग 118 प्रतिशत बढ़ा है।
  • निजी स्वास्थ्य बीमा व्यय, जिसमें परिवारों या नियोक्ताओं द्वारा भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम शामिल हैं, 66,975 करोड़ रुपये है, जो 2021-22 के लिए कुल स्वास्थ्य व्यय का 7.40 प्रतिशत है।
  • वर्तमान स्वास्थ्य व्यय में सरकारी अस्पतालों का योगदान 18.99 प्रतिशत और निजी अस्पतालों का योगदान 26.96 प्रतिशत है।
  • सेवाओं के मामले में, इनपेशेंट क्यूरेटिव केयर 2,99,587 करोड़ रुपये है, जो वर्तमान स्वास्थ्य व्यय का 37.94 प्रतिशत है, इसके बाद निर्धारित दवाएं 1,26,225 करोड़ रुपये (15.98 प्रतिशत), आउटपेशेंट क्यूरेटिव केयर (15.30 प्रतिशत), निवारक देखभाल (13.55 प्रतिशत), रोगी परिवहन (3.65 प्रतिशत), प्रयोगशाला और इमेजिंग सेवाएं (3.32 प्रतिशत), काउंटर दवाएं (3.22 प्रतिशत) आदि हैं।

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राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन के बारे में-

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन की स्थापना 2007 में हुई थी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के लिए एक प्रमुख थिंक टैंक है, जिसका उद्देश्य राज्यों को तकनीकी सहायता प्रदान करने और उसे संगठित करने तथा स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए क्षमता निर्माण में नीति और रणनीति विकास में सहायता करना है। सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने के लिए तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण को सक्षम बनाना, नीतियों और रणनीतियों को तैयार करने और उनका मूल्यांकन करने के लिए क्षेत्र से साक्ष्य उत्पन्न करना; राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए विकेंद्रीकरण, समानता और गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना इसका मुख्य मिशन है।


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