सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति (General Consent to CBI) के बारे में जानें ! Know everything about CBI for UPSC in Hindi

General Consent to CBI

हाल ही में कर्नाटक सरकार ने सीबीआई पर पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक रूप से प्रेरित काम करने का आरोप लगते हुए राज्य में मामलों की जांच के लिए केंद्रीय एजेंसी सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति (General Consent to CBI) वापस ले ली है। मामले पर कर्नाटक सरकार ने कहा है कि सीबीआई और केंद्र अपने साधनों का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग नहीं कर रहे हैं। इसलिए, कर्नाटक में अब सरकार मामले-दर-मामला जांच करके, सीबीआई को सहमति देगी।

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क्या है सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति (General Consent to CBI)?

  • दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) अधिनियम 1946 द्वारा शासित सीबीआई के अधिनियम की धारा 6 के अनुसार राज्यों में जांच के लिए राज्य सरकार की सहमति अनिवार्य है। अधिनियम की धारा 6 के अनुसार- धारा 5 में निहित कोई भी बात दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना के किसी भी सदस्य को उस राज्य की सरकार की सहमति के बिना संघ शासित प्रदेशों या रेलवे क्षेत्रों को छोड़कर किसी भी क्षेत्र में शक्तियों और अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने में सक्षम नहीं समझी जाएगी।
  • राज्यों की यह सहमति दो प्रकार की होती है या तो मामला-विशिष्ट, या ‘सामान्य’।
  • सामान्य सहमति, सीबीआई को राज्यों के भीतर निर्बाध रूप से काम करने की अनुमति है। यानी सामान्य सहमति होने पर सीबीआई को हर बार जांच के सिलसिले में या हर मामले के लिए उस राज्य में प्रवेश करने पर नई अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती है।

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सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति (General Consent to CBI) को वापस लेने का क्या होगा प्रभाव?

  • किसी राज्य सरकार द्वारा सामान्य सहमति वापस लेने का अर्थ यह है कि सीबीआई उस राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के बिना किसी केंद्र सरकार के अधिकारियों या निजी व्यक्तियों से जुड़े किसी भी नए मामले को दर्ज नहीं कर पाएगी।
  • दूसरे शब्दों में सामान्य सहमति वापस लेने के बाद सीबीआई को केस-दर-केस आधार पर सहमति के लिए आवेदन करना होगा और सहमति दिए जाने से पहले वह कार्रवाई नहीं कर सकती। वहीं यदि विशिष्ट सहमति नहीं दी जाती है, तो सीबीआई अधिकारियों के पास उस राज्य में प्रवेश करते समय पुलिस कर्मियों की शक्ति नहीं होगी।
  • हालांकि सीबीआई को दिए सामान्य सहमति को वापस लेने के बावजूद सामान्य सहमति वापस लेने से पहले चल रही मामलों पर वह जांच जारी रख सकती है (काजी लेंधुप दोरजी बनाम सीबीआई, 1994)।
  • वहीं अगर उच्च न्यायालय अगर जांच का आदेश देती है तो भी सामान्य सहमति वापस लेने के बावजूद सीबीआई जांच जारी रख सकती है।

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  • सामान्य सहमति वापस लेने का अन्य राज्यों में भी प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि सीबीआई से सामान्य सहमति वापस लेने वाला कर्नाटक अकेला राज्य नहीं है। इससे पहले पंजाब, झारखंड, केरल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, तेलंगाना, मेघालय और तमिलनाडु जैसे राज्य सीबीआई से सामान्य सहमति वापस ले चुके हैं।
  • इसी को देखते हुए वर्ष 2023 में एक संसदीय पैनल ने कहा था कि सीबीआई की स्थिति, कार्यों और शक्तियों को परिभाषित करने के लिए एक नया कानून बनाने की आवश्यकता है।

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सीबीआई के बारे में-

  • सीबीआई की स्थापना ब्रिटिश काल में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अधिकारियों के रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करना था।
  • इसी संबंध में वर्ष 1941 में भारत सरकार द्वारा एक कार्यकारी आदेश पारित किया गया, जिसमें तत्कालीन युद्ध विभाग में एक डीआईजी के अधीन विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (एसपीई) की स्थापना की गई।
  • 1942 के अंत में, एसपीई की गतिविधियों को रेलवे में भ्रष्टाचार के मामलों को शामिल करने के लिए विस्तारित कर दिया गया।

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  • 1943 में, भारत सरकार द्वारा एक अध्यादेश जारी किया गया, जिसके द्वारा एक विशेष पुलिस बल का गठन किया गया और उसे ब्रिटिश भारत में कहीं भी केंद्रीय सरकार के विभागों के संबंध में किए गए कुछ अपराधों की जांच करने की शक्तियाँ प्रदान की गईं।
  • 1943 में जारी अध्यादेश, जो 30 सितंबर, 1946 को समाप्त हो गया को दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अध्यादेश, 1946 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया। इसके बाद, उसी वर्ष दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 अस्तित्व में लाया गया।
  • सीबीआई को दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 से जांच करने की शक्ति प्राप्त होती है।
  • अधिनियम की धारा 2 डीएसपीई को केवल केंद्र शासित प्रदेशों में अपराधों की जांच करने का अधिकार देती है। हालांकि, केंद्र सरकार अधिनियम की धारा 5(1) के तहत रेलवे क्षेत्रों और राज्यों सहित अन्य क्षेत्रों में अधिकार क्षेत्र का विस्तार कर सकती है, बशर्ते राज्य सरकार अधिनियम की धारा 6 के तहत सहमति दे।
  • केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), कार्मिक विभाग, कार्मिक, पेंशन और लोक शिकायत मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन कार्यरत है, जो भारत में प्रमुख जांच पुलिस एजेंसी है। यह भारत की वह प्रमुख नोडल पुलिस एजेंसी है, जो इंटरपोल सदस्य देशों की ओर से जांच का समन्वय करती है।

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