हाल ही में जारी रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार या फॉरेक्स रिजर्व (Foreign Reserve) अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच गया है। इसके अनुसार 13 सितंबर को समाप्त सप्ताह में भारत का फॉरेक्स रिजर्व 223 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 689.458 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। इसके साथ ही
- विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां 515 मिलियन अमेरिकी डॉलर घटकर 603.629 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई
- स्वर्ण भंडार 899 मिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़कर 62.887 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया
- विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 53 मिलियन अमरीकी डॉलर घटकर 18.419 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया और
- आईएमएफ के साथ भारत की आरक्षित स्थिति 108 मिलियन अमरीकी डॉलर घटकर 4.523 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गई
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क्या है विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Reserve)?
विदेशी मुद्रा भंडार या फॉरेन रिजर्व देश की केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्राओं में आरक्षित रखी गई परिसंपत्तियाँ हैं। सामान्यतः इनमें बांड, ट्रेजरी बिल, स्वर्ण और अन्य सरकारी प्रतिभूतियाँ शामिल होती हैं। इसका उद्देश्य विभिन्न देशों की अपनी आवश्यकताओं पर निर्भर करता है। जैसे किसी देश में आर्थिक नीति निर्धारण के लिये उपयोग में लाया जाता है उदाहरण भारत में तो वहीं सिंगापुर जैसे कई देशों में इसका इस्तेमाल सॉवरेन वेल्थ फंड के तौर पर किया जाता है।
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फॉरेन रिजर्व या विदेशी मुद्रा भंडार की आवश्यकता क्यों है?
फॉरेन रिजर्व या विदेशी मुद्रा भंडार की आवश्यकता ज्यादातर उन देशों को होती है जो आयात के लिये अन्य देशों की मुद्राओं पर निर्भर हैं अर्थात वे अपनी मुद्रा में आयात का भुगतान नहीं कर सकते हैं। चूंकि उनकी मुद्रा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा के रूप में स्वीकृत नहीं है।
भारत के मामले में, विदेशी मुद्रा भंडार मुख्य रूप से मौद्रिक और विनिमय दर प्रबंधन के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। जैसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर डॉलर या अन्य स्वीकृत मुद्रा के एक्सचेंज रेट में हुआ बड़े उतार-चढ़ाव से घरेलू अर्थव्यवस्था की सुरक्षा के लिये। यह देश की राष्ट्रीय मुद्रा के समर्थन के लिये भी आवश्यक है ताकि घरेलू बाजार में रिजर्व बैंक का हस्तक्षेप संभव हो सके। इसके साथ ही यह देश की आयात जरूरतों पर किसी तरह के संभावित नुकसान से देश की सुरक्षा भी करता है। यही कारण है कि भारत का केन्द्रीय बैंक विदेशी मुद्रा का बड़ा भंडार अपने पास रखता है। हालांकि हर देश के पास विदेशी मुद्रा भंडार होना जरूरी नहीं है। उदाहरण स्वरुप अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों को बड़े विदेशी मुद्रा भंडार रखने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि उनकी मुद्राएँ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले ही स्वीकृत हैं।
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भारतीय के फॉरेन रिजर्व या विदेशी मुद्रा भंडार के घटक क्या-क्या हैं?
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के मुख्य घटक हैं –
- विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ
- स्वर्ण भंडार
- विशेष आहरण अधिकार और
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ आरक्षित स्थिति
बता दें कि भारत में अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार अमेरिकी डॉलर में रखे जाते हैं। साथ ही 1990-91 के आर्थिक संकट के बाद सी रंगराजन और वाई.वी. रेड्डी की अध्यक्षता में गठित भुगतान संतुलन पर उच्च स्तरीय समिति ने सिफारिश की थी कि भारत के पास 12 महीने की आयात आवश्यकताओं के लिए विदेशी मुद्रा भंडार होना चाहिए।
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