केंद्र सरकार के लगभग 50 लाख कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है। यह घोषणा केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने की। 8वें वेतन आयोग से न केवल केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि होगी, बल्कि महंगाई भत्ते (DA) में भी समायोजन किया जाएगा। हालाँकि, 8वें वेतन आयोग के तहत वेतन वृद्धि का प्रतिशत अभी स्पष्ट नहीं किया गया है। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, फिटमेंट फैक्टर, जो सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन की गणना के लिए उपयोग किया जाने वाला एक प्रमुख गुणांक है, के तहत कर्मचारियों का वेतन 2.57 से बढ़कर 2.86 हो सकता है। यदि फिटमेंट फैक्टर 2.86 है, तो न्यूनतम मूल वेतन ₹18,000 से बढ़कर ₹51,480 हो सकता है।
पिछले कुछ वेतन आयोगों के तहत वेतन वृद्धि:
- 7वाँ वेतन आयोग: फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, जिससे केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों का मूल वेतन 2.57 से गुणा किया गया।
- 6वाँ वेतन आयोग: फिटमेंट फैक्टर 1.86 था, जिससे केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों का मूल वेतन 1.86 प्रतिशत तक बढ़ा।
- 5वाँ वेतन आयोग: मौजूदा स्केल में मूल वेतन का 40 प्रतिशत ‘मौजूदा भत्तों’ में जोड़ा गया।
वेतन आयोग क्या है:
वेतन आयोग एक प्रशासनिक प्रणाली है। यह केंद्र सरकार द्वारा स्थापित एक निकाय है। वेतन आयोग की संरचना वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के अंतर्गत आती है। सरकार द्वारा इसे हर 10 वर्ष में गठित किया जाता है। इसका कार्य कर्मचारियों के वेतन ढाँचे में बदलाव की समीक्षा और सिफारिश करना होता है। इसमें सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन, भत्ते, बोनस और अन्य लाभ तथा सुविधाएँ शामिल हैं। इस प्रक्रिया में महंगाई, अर्थव्यवस्था की स्थिति, आय असमानताएँ और अन्य संबंधित कारकों पर ध्यान दिया जाता है। इसकी सिफारिशों के आधार पर ही केंद्रीय कर्मचारियों का वेतन तय किया जाता है। वेतन आयोग के अंतर्गत वेतनमान और सेवा निवृत्ति के लाभ के बारे में निर्णय लिए जाते हैं। इस आयोग को अपनी रिपोर्ट और सिफ़ारिशें जमा करने के लिए सामान्यतः 18 महीने का समय दिया जाता है। गौरतलब है कि सरकार के लिये वेतन आयोग की सिफारिशों को मानना अनिवार्य नहीं है। सरकार सिफारिशों को स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है।
वेतन आयोग का इतिहास:
आजादी के बाद से अब तक 7 वेतन आयोग गठित किये जा चुके हैं। सातवाँ वेतन आयोग 28 फरवरी, 2014 को गठित हुआ था। इसकी सिफारिशों को वर्ष 2016 में लागू किया गया था। भारत में पहले वेतन आयोग का गठन साल 1946 में हुआ था। इसका मुख्य काम सामान्य कर्मचारियों के वेतनमान की जाँच और अन्य वेतन की अनुशंसा करना था। इसे श्री निवास वरादाचरियर की अध्यक्षता में गठित किया गया था। इस आयोग में 9 सदस्य थे। वहीं दूसरे वेतन आयोग में एक सैन्य सदस्य सहित छह सदस्य थे। जबकि, तीसरे और चौथे आयोग में 5 सदस्य थे, लेकिन कोई सैन्य सदस्य नहीं था। 1946 में गठित पहले वेतन आयोग में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी का मूल वेतन 30 रुपए और तृतीय श्रेणी के कर्मचारी का मूल वेतन 60 रुपए निर्धारित किया गया था। वहीं इसके द्वारा न्यूनतम आय को 55 रुपये प्रति माह और अधिकतम आय को 2000 रुपये प्रति माह तय किया गया था।
Discover more from UPSC Web
Subscribe to get the latest posts sent to your email.